अरणि मंथन के साथ यज्ञ में अग्नि देव का हुआ प्राकट्य 

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October 7, 2022

श्रीरामहर्षण मैथिल सख्यपीठ चारूशिला मंदिर के श्रीमज्जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी वल्लभाचार्य के समर्पित भक्तों के सेवा भाव की चर्चा चहुंओर

अयाेध्या। श्रीरामहर्षण मैथिल सख्यपीठ धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट चारूशिला मंदिर, जानकीघाट में चल रहे दस दिवसीय श्रीराममंत्र महायज्ञ में शुक्रवार को अरणि मंथन के साथ अग्नि देव का प्राकट्य हुआ। इसी के साथ रामवल्लभाकुंज परिसर में बने 108 कुंडीय यज्ञ मंडप में आहुति पड़ना शुरू हाे गई। बड़ी संख्या में भक्तगण महायज्ञ में आहुतियां डाल रहे हैं। महाेत्सव काे सानिध्यता प्रदान करते हुए  श्रीरामहर्षण मैथिल सख्यपीठ चारूशिला मंदिर के श्रीमज्जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी वल्लभाचार्य महाराज ने कहा कि दस दिवसीय श्रीराममंत्र महायज्ञ का कार्यक्रम चल रहा है।  पूरी अयाेध्यानगरी सिया बाेल की गूंज से गुंजायमान है। महाेत्सव के द्वितीय दिवस अरणि मंथन के साथ यज्ञ में अग्नि देव का प्राकट्य हाे चुका है। इसी क्रम में श्रीराममंत्र महायज्ञ में आहुतियां पड़ना शुरू हाे गई हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम अनंत विभूषित पंचरसाचार्य स्वामी श्रीमद् रामहर्षण देव महाराज द्वारा संपन्न श्रीमंत्रराज अनुष्ठान के रजत जयंती महामहोत्सव पर आयाेजित है। इसका शुभारंभ विशाल शाेभायात्रा के साथ हाे चुका है। जाे 14 अक्टूबर तक चलेगा। महाेत्सव में देश के विभिन्न प्रांताें से विशिष्ट जगद्गुरू, शंकराचार्याें, महामंडलेश्वराें, दिव्य संताें का आगमन हाे रहा है। उनके दर्शन व दिव्यवाणी का संलाभ हम सब प्राप्त करेंगे। श्रीराममंत्र महायज्ञ महाेत्सव अपने आपमें अद्वितीय और अद्भुत है। ऐसा महायज्ञ अभी तक नही हुआ है। जाे पहली बार हाे रहा है। 108 कुंडाें का यज्ञ मंडप बनाया गया है। 501 विद्वान श्रीमद् भागवत महापुराण का परायण कर रहे हैं। वहीं 501 जापकाें द्वारा श्रीमंत्रराज का जाप कर किया जा रहा। कुल 13 कराेड़ षड़ाक्षर श्रीराममंत्र का जप किया जायेगा। साथ ही 540 यजमानाें द्वारा 8 साै कुंतल हवन सामग्री से महायज्ञ में 1 कराेड़ 30 लाख आहुतियां डाली जायेंगी। 11, 12 और 13 अक्टूबर काे दाेपहार 2 बजे से सायं 6 बजे तक विराट संत-सम्मेलन आयोजित है। संत-सम्मेलन में सम्पूर्ण भारत के महापुरूष सम्मिलित हो रहे हैं। वृंदावन धाम से पधारे श्रीमद् जगद्गुरू द्वाराचार्य मलूकपीठाधीश्वर डॉ. राजेंद्रदेवाचार्य महाराज अपने मुखारविंद से भक्ताें काे द्वितीय दिवस की श्रीरामकथा का रसास्वादन कराया। रात्रि 8 बजे 11 बजे तक वृंदावन की प्रसिद्ध चैतन्य महाप्रभु लीला का मंचन हुआ।

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