सप्त दिवसीय सुखद सत्संग कथा एवं ज्ञानयज्ञ महाेत्सव का हुआ समापन
कबीरमठ जियनपुर के महंत उमाशंकर दास व कार्यक्रम प्रभारी प्रवीन साहेब ने सांसद लल्लू सिंह समेत अन्य गणमान्य अतिथियों का माल्यार्पण-अंगवस्त्र ओढ़ाकर किया स्वागत
अयाेध्या। तीर्थनगरी की प्रतिष्ठित पीठ श्रीरामवल्लभाकुंज, जानकीघाट के प्रांगण में चल रहे सप्त दिवसीय सुखद सत्संग कथा एवं ज्ञानयज्ञ महाेत्सव का शुक्रवार को समापन हुआ। सत्संग कथा के अंतिम दिवस राष्ट्रीय संत व प्रख्यात वक्ता असंग देव महाराज ने भक्तगणों काे रसास्वादन कराते हुए कहा कि अयाेध्या भगवान श्रीराम की पावन नगरी है। जहां पवित्र सरयू का तट है और मां सरयू कल-कल कर प्रवाहित हाे रही हैं। जिस घर में गृह-क्लेश व मनमुटाव नही हाेता है। ऐसा गृहस्थ आश्रम धन्य हाेता है। जब हम तादात से ज्यादा गलती करते हैं और गलतियों पर गलतियां करते चले जाते हैं। धीरे-धीरे हमारा मन दूर हाेता चला जाता है। इसलिए गलतियों एवं क्षमा करने की एक सीमा हाेती है। अवगुण सम्मान काे, कुसंग उत्थान काे और क्राेध परस्पर प्रेम काे नष्ट कर देता है। इसलिए इन चीजों का हमें सुधार करना चाहिए। क्राेध पर काबू करें। जरा-जरा सी बातों पर लाेग रूठ जाते हैं। जाे बड़ी कमजाेरी है। रिश्ता जुड़ा है। ताे निभाना सीखाे। रिश्ता निभाने साधना करें। किसी से प्रेम शुरू करना बहुत आसान है। लेकिन उसकाे अंतिम तक निभाना बहुत कठित है। यह एक साधना के समान है। उन्होंने कहा कि प्रेम का पूरा सागर है। अगर हम पूरी दुनिया काे प्रेम दे देंगे। ताे भी हमारे पास प्रेम भरा रहेगा। माता-पिता काे प्रेम दाे। प्रेम ही रिश्ताें काे निभाने की आनंद के भवन की चाभी है। आनंद काेई भवन नही है। आनंद हमारे मन-मस्तिष्क में है। जाे मिलेगा उससे प्रेम कराेगे। पैसा, वाहन या अन्य वस्तुएं हम सभी खुश नही कर सकती हैं। बस वह थाेड़ी देर के लिए हमारे मनाेरंजन का साधन बन सकता है। विवेक सिर्फ सत्संग से जन्म लेता है। वीतरागी संताें के श्रीमुख से सत्संग प्रवाहित हाेता है, जिसका पान करने हमारा सदा-सदा के लिए कल्याण हाे जाता है। वहीं सत्संग में उपस्थित सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि सद्गुरु कबीर के सत्संग से लाेगाें का कल्याण हाेगा। इसका श्रवण सभी काे करना चाहिए। जाे हमारे अंदर उपस्थित सभी विकाराें काे दूर करता है। उन्होंने कहा कि अयाेध्यानगरी में यह बहुत बड़ा आयाेजन रहा, जिसमें बड़ी संख्या में देश के विभिन्न प्रांताें संत व भक्तगण उपस्थित हुए। जिन्हाेंने सप्त दिवसीय सुखद सत्संग कथा का लाभ उठाया। इसके लिए मैं राष्ट्रीय संत असंग देव महाराज और पूरी टीम का आभार ज्ञापित करता हूं। इससे पहले कबीरमठ जियनपुर के महंत उमाशंकर दास व कार्यक्रम प्रभारी प्रवीन साहेब ने सांसद लल्लू सिंह समेत अन्य गणमान्य अतिथियों का माल्यार्पण-अंगवस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया। इस माैके पर श्रीरामवल्लभाकुंज अधिकारी राजकुमार दास, वैदेही भवन महंत रामजी शरण, कबीर मठ जियनपुर के महंत उमाशंकर दास, महंत रामकृष्ण दास रामायणी, रामप्रकाश दास, शील दास, शीलकर साहेब, नवीन दास, अनुभव दास, सत्कर साहेब, आदित्य साहेब, शैलेष साहेब, रवींद्र साहेब रमाकांत, चंद्रेश समेत बड़ी संख्या में भक्तगण सुखद सत्संग कथा का रसपान कर रहे थे।