चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ जी के राजमहल बड़ी जगह में धूमधाम से मनाया गया रामजन्म
अयाेध्या। सीताराम विवाह महाेत्सव के उपलक्ष्य में चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ जी के राजमहल बड़ी जगह में श्रीरामकथा के चतुर्थ दिवस प्रख्यात रामकथा मर्मज्ञ कथाव्यास हरिधाम गोपाल पीठाधीश्वर जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य महाराज ने राम जन्म की कथा का रसास्वादन कराके सभी कोमंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम के जन्म के अनेक कारण हैं। जिसमें नारद जी का श्राप और मनु शतरूपा का भगवान को प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या यद्यपि परमात्मा के आने के मुख्य कारण तो भक्त हैं। भगवान भक्तों के लिए धरा धाम पर पधार ते हैं और ब्रह्म का सरलीकरण इस अयोध्या में ही हुआ है। स्वामी रामदिनेशाचार्य महाराज ने कहा कि जो असीम ब्रह्म माता कौशल्या के गोद में आकर के छोटा हो गया। महाराज दशरथ जो बहुत ग्लानि में थे गुरुदेव के पास जाकर उनकी चिंता मिट गई और श्रृंगी ऋषि ने यज्ञ करा कर उस प्रसाद को रानियों में बटवा दिया। जिसके परिणामस्वरूप निर्गुण ब्रह्म सगुण साकार बनकर अयोध्या के इस पावन दिव्य धाम में प्रकट हुआ। मूलतः परमात्मा भक्तों के भाव के लिए प्रकट होता है जब भाव उदित हो जाते हैं तब परमात्मा का प्राकट्य हो जाता है।सीताराम विवाह महाेत्सव काे चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ जी के राजमहल बड़ी जगह के विंदुगाद्याचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य महाराज ने सानिध्यता प्रदान कर रहे है। महोत्सव के व्यवस्थापक अपने नाम के अनुरूप विंदुगाद्याचार्य के कृपापात्र शिष्य मंगल भवन व सुंदर सदन पीठाधीश्वर महंत कृपालु रामभूषण दास महाराज लगे हुए है। रामकथा में मुख्य रुप से महंत माधव दास हनुमानगढ़ी, रामनगरी के प्रसिद्ध पीठ श्यामासदन के पीठाधीश्वर महंत बालयोगी श्रीधर दास महाराज, कामधेनु आश्रम के पीठाधीश्वर महंत आशुतोष दास, नरेश गर्ग, कुसुमलता गर्ग, आचार्य गौरव दास शास्त्री, शिवेन्द्र शास्त्री सहित बड़ी संख्या में संत साधक व बड़ी जगह के शिष्य परिकर मौजूद रहें।