जाे रामरस पियेगा, वह युग-युग जियेगा: संत असंग देव

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November 7, 2022

सुखद सत्संग में हजारों-हजार भक्तगण रामरस में लगा रहें गाेता

अयाेध्या। तीर्थ नगरी अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है। जहां मां सरयू का पावन तट व हजारों मंदिराें की श्रृंखला है। जाे तीर्थ नगरी अयोध्या की पहचान है। अयोध्या की पवित्र धरा पर सुखद सत्संग का दूसरा दिन है, जिसमें हजारों-हजार भक्तगण गाेता लगा रहे हैं। उक्त बातें राष्ट्रीय संत असंग देव महाराज ने रामवल्लभाकुंज जानकीघाट प्रांगण में चल रहे सुखद सत्संग कथा में कही। उन्होंने कहा कि जाे रामरस पियेगा। वह युग-युग जियेगा। संसार में दाे प्रकार का रामरस है। पहला रामरस व दूसरा माया रस है। वर्तमान में ज्यादातर जीव माया रस में डूबा हुआ है। रामरस की ओर उन्मुख नही हाे पा रहा है। वह माया रस में लीन हाेकर अपनी पूरी जिंदगी खाे देता है। जैसे भूख लगने पर भाेजन करने के लिए हम समय निकाल लेते हैं। उसी प्रकार से सत्संग और भक्ति के लिए भी समय निकालें। प्रवचन सुनने की आदत बनायें। क्याेंकि सत्संग काे अमृत कहा गया है। इसलिए सत्संग रूपी अमृत का पान अवश्य करें। सत्संग की एक-एक बातें अपने हृदय में उतारें एवं दुर्गुणाें का नाश करें। दूसराें हम बहुत कमियां निकालते हैं। लेकिन अपनी कमी हमें नही दिखाई देती। राष्ट्रीय संत ने कहा कि जब तक हमारी बुद्धि नही शुद्ध हाेगी। तब तक रिद्धि-सिद्धि नही आयेगी। अगर हमारी बुद्धि शुद्ध नही है। ताे हमें रावण, कंस, सुर्पणखा बना सकती है। यदि हमारे अंदर थाेड़ी भी बुद्धि है। ताे वह हम सबकाे शबरी, मीराबाई आदि बना सकती है। भगवान भाषा काे नही बल्कि भावाें काे देखता है। उन्होंने कहा कि यहां सत्संग में माैजूद श्रद्धालुओं की श्रद्धा शबरी, ध्रुव, प्रहलाद से कम नही है। श्रद्धा संबल है और प्रेम अध्यात्म का पथ है। करूणा भरा दिल भक्ति का धन है। सरल बनाे व प्रसन्न रहाे। इस माैके पर श्रीरामवल्लभाकुंज अधिकारी राजकुमार दास, वैदेही भवन महामंडलेश्वर महंत रामजी शरण, कार्यक्रम प्रभारी प्रवीन साहेब, कबीर मठ महंत उमाशंकर दास, संत ईश्वर दास शास्त्री, हरीश साहेब, रवींद्र साहेब, शील साहेब समेत महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड आदि प्रांताें से पधारे भक्तगण सुखद सत्संग का श्रवण कर रहे थे।

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