
तुलसीदास जयंती पर मोरारी बापू ने रामलला सदन देवस्थान के पीठाधीश्वर जगद्गुरू रामानुजाचार्य डा राघवाचार्य महाराज को वाल्मिकी व्यास पुरस्कार से किया सम्मानित
अयोध्या। रामचरित मानस सहित अनेक ग्रंथों के रचयिता संत तुलसीदास जी के जन्मोत्सव के अवसर पर 1 से 4 अगस्त भावनगर जिले के कैलास गुरुकुल में प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू की उपस्थिति में वाल्मिकी व्यास और तुलसी पुरस्कार समारोह का आयोजिन किया गया। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी तुलसी उत्सव में 1 से 3 अगस्त तक देश भर के विभिन्न प्रांतों के गायकों और कहानियों के पाठकों के व्याख्यान हुआ। हर वर्ष तुलसीदास जी की जन्म तिथि श्रावण शुक्ल सप्तमी पर वाल्मिकी रामायण, महाभारत, गीता, पुराण, रामचरित मानस के साथ-साथ तुलसीदास जी के साहित्य की कथाएँ, गीत, व्याख्यान-अध्ययन और जीवन भर सेवा के उपलक्ष्य में देश- विदेश के प्रतिष्ठित वरिष्ठ व्यक्तियों के शोध-प्रकाशन के साथ इस पुरस्कार से शिक्षाविदों के अलावा अन्य संगठनों को भी सम्मानित किया गया।
गुरुवार को तीनों पुरस्कारों का प्रस्तुतिकरण समारोह हुआ। वरिष्ठ विद्वानों में वाल्मिकी पुरस्कार प्रख्यात कथावाचक रामलला सदन देवस्थान पीठाधीश्वर जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी डा राघवाचार्य जी महाराज को दिया गया साथ ही ये पुरस्कार
विजय शंकर देवशंकर पंड्या अहमदाबाद, स्व.रामानन्द सागर मुंबई और व्यास पुरस्कार प्रा. शरदभाई व्यास, आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्णजी महाराज वृंदावन के साथ-साथ तुलसी पुरस्कार रामबेन हरियानी जयपुर, मुरलीधरजी महाराज ओंकारेश्वर और महंत राम हृदयदासजी चित्रकूट धाम को वंदनापात्र से सम्मानित किया गया। सूत्रमाला, शॉल मोरारी बापू जी नगद राशि मानदेय देकर सम्मानित किये।