त्रि दिवसीय सहस्त्र घटाभिषेक महोत्सव का समारोह पूर्वक हुआ समापन, धूमधाम से मनाया गया भगवान का कल्याण महोत्सव




अयोध्या। श्री राम लला सदन देवस्थानम में चल रहें तीन दिवसीय निष्क्रमण संस्कार का भव्य दिव्य समापन भगवान का कल्याण महोत्सव विवाहोत्सव के हुआ। निष्क्रमण संस्कार का मुख्य उत्सव आज था। जिसमें एक हजार घड़ों में संरक्षित दिव्य द्रव्यों, फलों के रस एवं सरयू सहित अन्य पवित्र नदियों के जल से आराध्य विग्रह का महाभिषेक किया गया। दक्षिण के आचार्यों द्धारा पूरे वैदिक रीति रिवाज के पूजन अर्चन किया गया।
श्री राम जन्म भूमि के निकट श्री राम लला देवस्थानम में चल रहे निष्क्रमण संस्कार की भव्य छटा देखते ही बन रही थी। 21 विद्वानों द्वारा भगवान का सस्वर पाठ और हवन पूजन की सुगंध पूरी अयोध्या नगरी को मंत्रमुग्ध कर रही है। मंदिर परिसर में स्थापित भगवान श्री राम माता जानकी, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न और हनुमान जी महाराज का निष्क्रमण संस्कार महोत्सव दक्षिण भारत की सनातन परंपरा की अलौकिक छवि देखते ही बन रही थी।
श्री राम लला सदन देवस्थानम के पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी डॉ राघवाचार्य महाराज के सानिध्य में निष्क्रमण संस्कार 19 जुलाई को प्रारंभ हुआ यह संस्कार प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के 48 दिन बीत जाने पर किया जाता है। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि निष्क्रमण संस्कार के दिन भगवान को बाहर निकाला जाता है और उनका अभिषेक पूजन करके सूर्य और चंद्र का दर्शन कराया जाता है। निष्क्रमण संस्कार की सांध्यकालीन बेला में कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया।श्री राम लला देवस्थानम वही मंदिर है जहां भगवान श्री राम भरत लक्ष्मण और शत्रुघ्न का नामकरण संस्कार किया गया था। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जिन शिशुओं का नामकरण संस्कार होता है वह निश्चित ही प्रखर बुद्धि के होते है और अपने माता पिता की आज्ञा मानते हुए समाज के लिए निरंतर कार्य करते रहते है। श्री रंगमन्दिर श्री वृंदावन धाम के पीठाधीश्वर महंत गोवर्धन रंगाचार्य के निर्देशन में निष्क्रमण संस्कार कार्यक्रम संपन्न हुआ। महोत्सव स्वामी सम्पत कुमार चेन्नई, राम प्रिये स्वामी के पावन सानिध्य में सम्पन्न हुआ। इस मौके पर गोविंद कुमार लोहिया हैदराबाद, सतीश चंद्र मालू सोलापुर,पुष्पराज गिरी सागर, राघवेंद्र मिश्र, शिवेंद्र गुप्ता लखनऊ, राघवेंद्र मिश्र अप्पू, मनोज कुमार ,विनोद कुमार सहित भारत के अनेक प्रान्तों से शिष्य परिकर शामिल हुए।