श्रद्धा और उल्लास से मना गुरु गाेविंद सिंह का प्रकाशाेत्सव
अयाेध्या। रामनगरी के नजरबाग स्थित ऐतिहासिक गुरूनानक गाेविंदधाम गुरूद्वारा में गुरू गाेविंद सिंह का प्रकाशाेत्सव श्रद्धा और उल्लास से मनाया गया। गुरूवार सुबह गुरू ग्रंथ साहिब के सम्पूर्ण पाठ की समाप्ति। पाठ समाप्ति उपरांत भजन-कीर्तन एवं उसके बाद लंगर प्रसाद का आयाेजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने लंगर छका।सायंकाल अयाेध्यानगरी साेहावल नवाबगंज व मनकापुर से आए श्रद्धालुओं ने गुरू महाराज के जन्माेत्सव पर भजन-कीर्तन का आनंद लिया। तदुपरांत लंगर प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर गुरूनानक गाेविंदधाम गुरूद्वारा के जत्थेदार बाबा महेंद्र सिंह ने कहा कि गुरू गाेविंद सिंह महाराज सिक्ख धर्म के दसवें गुरू थे। जिनका प्रकाश पर्व हम लाेगाें ने हर्षाेल्लास पूर्वक मनाया। यह उनका 356वां प्रकाशाेत्सव था। जन्माेत्सव पर गुरूद्वारा में धार्मिक कार्यक्रम सम्पन्न हुए। उन्होंने बताया कि संवत 1723 विक्रमी 17, 18 पाैष शनिवार तथा इतवार की मध्यरात्रि में नाैवें गुरू तेगबहादुर सिंह के गृह में माता गुजरी जी की काेख से पटना बिहार शहर में गुरू गाेविंद सिंह का जन्म हुआ था। उन जैसा व्यक्ति व गुरू इस संसार में देखने काे नही मिलता है। उनके जीवन के अंशमात्र से ही यदि हम काेई शिक्षा ग्रहण कर लें। ताे अपने दायरे में रहकर हम सब सर्वश्रेष्ठ जीवन व्यतीत कर सकते हैं। धर्म न्याय अध्यात्म शूरवीर विद्वता दानवीरता एवं वैभव की पराकाष्ठा अगर एक व्यक्ति में ढूढ़नी है। ताे वह गुरू गाेविंद सिंह में ही दिखती है। स्वयं परमेश्वर का रूप हाेकर उन्होंने अपनी रचनाओं में खुद सेवक। दास और चेला लिखा। जत्थेदार बाबा ने कहा कि जिनके दिन मनाते हाे उनकी बात भी जानाे। जिनके दिन मनाते हाे उनकी बात भी मानाे। अर्थात गुरू पर्व मनाना तभी सफल है। जब हम उनके जीवन से प्रेरणा लें। अंत में उन्होंने सभी संगत व प्रबंधक कमेटियाें का आभार ज्ञापित किया। गुरूद्वारा के सेवादार सरदार नवनीत सिंह द्वारा प्रकाशाेत्सव पर आए हुए विशिष्टजनाें का स्वागत-सत्कार किया गया।