हनुमान बाग में संतो का हुआ सम्मान समारोह, 9 दिनों तक बहेगी रामकथा की रसधार
सीताराम कुटीर शीलज अहमदाबाद आश्रम में भजन व भोजन सेवा अनवरत हो रहा संचालित
अयोध्या। रामनगरी के प्रसिद्ध पीठों में शुमार हनुमान बाग मंदिर में महंत श्री चंदेश्वर बापू सीताराम कुटीर शीलज अहमदाबाद के अध्यक्षता में 9 दिवसीय भव्य राम कथा महोत्सव का शुभारंभ आज समारोह पूर्वक हुआ। कथा के इस शुभारंभ में रामनगरी अयोध्या के विशेष संतों का सम्मान किया गया। व्यासपीठ से कथा की अमृत वर्षा प्रख्यात कथावाचक श्री रामेश्वर बापू हरियाणी कर रहें है।
महंत श्री चंदेश्वर बापू ने कहा कि सीताराम कुटीर शीलज अहमदाबाद आश्रम में भजन व भोजन सेवा अनवरत संचालित हो रही है।बापू गौ सेवा के साथ अनेक धार्मिक आयोजन किया करते है।
आज प्रेस से मुखातिब होते रामेश्वर बापू हरियाणी ने कहा कि कथा में शिव विवाह, राम जन्म, राम विवाह, शबरी प्रसंग व सेतुबंध रामेश्वरम प्रसंग का वर्णन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि महंत श्री चंदेश्वर बापू सीताराम कुटीर शीलज अहमदाबाद द्धारा हर साल ऐसे दिव्य आयोजन होते है। इस रामकथा महोत्सव में गुजरात हरिद्वार से प्रमुख श्रीमहंत व महामंडलेश्वर शामिल होने के लिए आ रहे है। दो विषयों से पीएचडी किये हुए प्रख्यात कथावाचक रामेश्वर बापू हरियाणी ने कहा कि वे राम चरित मानस व संस्कृत से पीएचडी है। वे श्री भागवत विद्यापीठ अहमदाबाद में अध्यापक भी हैं।रामेश्वर बापू हरियाणी ने कहा कि हनुमान बाग मंदिर में ऋषि कुमारों द्धारा 9 दिनों तक हनुमान चालीसा का पाठ भी किया जायेगा। उन्होंने कहा कि कथा में प्रतिदिन अयोध्या के विशेष संतों का आशीर्वचन लिया व सम्मान किया जायेगा। साथ ही लगातार भंडारे का आयोजन भी किया गया है। यह महोत्सव हनुमान बाग मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत जगदीश दास महाराज के पावन सानिध्य में हो रहा है।
आज कथा शुभारंभ के पूर्व मंदिर से भव्य पोथी यात्रा शोभा यात्रा के रुप में निकली जो मां सरयू के पावन तट गई, जहां विधिवत पूजन के बाद यात्रा मंदिर वापस आ गई। कथा के प्रथम दिवस रामेश्वर बापू हरियाणी ने कहा कि रामचरित मानस जीवन को सही दिशा देती है। इससे व्यक्ति की दशा बदल जाती है। रामचरित मानस को जीवन में धारण करने से व्यक्ति के अभिमान का नाश होता है। व्यक्ति को अभिमान रहित होकर भगवान की भक्ति करनी चाहिए। इस मौके पर महंत हरिभजन दास, महंत नंदराम दास,महंत रामरुप शरण, महंत मामा दास,सुनील दास शास्त्री व रोहित शास्त्री सहित बड़ी संख्या में संत साधक मौजूद रहें।