पूज्य महंत नारायणाचारी जी महाराज का विधिवत पूजन अर्चन किया महंत विवेकाचारी ने
हजारों शिष्य परिकरों ने निवेदित की अपनी श्रद्धा

अयोध्या। गुरु पूर्णिमा के मौके पर लाखों की संख्या में अयोध्या पहुंचे श्रद्धालुओं ने सरयू में स्नान के बाद राम जन्मभूमि हनुमानगढ़ी सहित प्रमुख मंदिरों में पूजन अर्चन किया इसके बाद सभी भक्त अपने गुरुओं की आराधना की। गुरु पूर्णिमा हिंदू धर्म की प्राचीन परंपरा है जिस का निर्वाह आज भी लोग अपने गुरुओं के दर्शन पूजन और सेवा कर करते हैं। रामनगरी के सबसे प्रचीनतम पौराणिक मंदिर दंत धावन कुंड के पीठाधीश्वर महंत विवेकाचारी जी महाराज के संयोजन में बड़े ही श्रद्धा भाव से गुरु पूर्णिमा मनाया गया। महोत्सव से दूर दराज से हजारों भक्तों ने अपनी हाजिरी लगाई। महंत विवेकाचारी जी महाराज ने कहा कि आज गुरु पूर्णिमा के मौके पर व्यास की पूजा और व्यास की तिथि है आज शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं और गुरु से आशीर्वाद लेते हैं। महंत विवेकाचारी जी ने कहा कि जब मंत्र की सृष्टि गुरु शिष्य के हृदय में स्थापित करता है तब उसका स्वरूप ब्रह्मा का होता है पालन पोषण और विस्तार को लेकर जब ज्ञान देता तो गुरु का स्वरूप विष्णु का होता है और जब गुरु सभी शक्ति शिष्य को प्राप्त कराने के लिए इज्जत करता है तो सिर्फ उसका शुरू पारब्रह्म परमेश्वर का हो जाता है उन्होंने कहा कि धार्मिक मान्यता है कि गुरु की बात मानने वाले शिष्य को उसकी मुक्ति को संशय नहीं रहता आज के दिन गुरु पूर्णिमा है जो गुरु के लिए है लोग आश्रम में जा कर के अपने गुरुओं की पूजा करते हैं गुरु की महत्वता और कृपा आप पूर्ण रुप से शिष्य को मिली और शिष्य का कल्याण हो इसलिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।