रंगमहल के संस्थापक स्वामी सरयू सखी महाराज की परम्पराओं को पुष्पित और पल्लवित कर रहे महंत रामशरण दास जी
पूरे रस्मोरिवाज के साथ मनाया गया सीताराम विवाह महोत्सव
अयोध्या। वैष्णव नगरी अयोध्या में उपासना की दो अलग-अलग शाखाएं हैं। इन शाखाओं में दास परम्परा और सख्य परम्परा शामिल है। मिथिला धाम से अपना रिश्ता जोड़ने वाले मधुरोपासक कहलाते हैं और सख्य भाव से राम व सीता के रूप में दूल्हा-दुलहिन सरकार की उपासना करते हैं। इन दोनों ही परम्पराओं के उपासक संत रामानंद सम्प्रदाय के प्रथम आचार्य के रूप में देवी सीता जी को ही स्वीकारते हैं। गुरु वंदना में सीतानाथ समारम्भाम् रामानंदार्य मध्यमाम अस्मादचार्य पर्यन्ताम वंदे श्रीगुरु परम्पराम् इसी श्लोक का वाचन किया जाता है।
फिर भी दास परम्परा के उपासक राजा राम व हनुमान जी की उपासना दास यानी कि सेवक भाव से करते हैं। इसके समानान्तर सख्य भाव के उपासक सखी भाव की गुप्त उपासना करते हैं। इन संतों की मान्यता है कि जनकपुर में विवाह के बाद भगवान दुलहिन सरकार के साथ दूल्हा सरकार के रूप में ही विराजते हैं। यही कारण है कि ये उपासक श्रीरामचरित मानस के पारायण के दौरान विवाह प्रसंग तक का ही पारायण करते हैं। पूजन-अर्चन के दौरान सिर पर पल्लू रखकर त्रिरयोचित भाव से ही आराध्य को रिझाते हुए उनसे अनुनय-विनयपूर्वक प्रत्येक क्रिया करते हैं।
रामनगरी में पिछले पांच दिनों से चल रहे राम विवाह महोत्सव में आज आखरी दिन कलेवा का कार्यक्रम किया गया। जिसमे भगवान राम और तीनो भाइयो को उपहार देकर विदाई के समय गाली देकर विदा किए जाने का कार्यक्रम किया गया। भगवान की जनक पूरी से विदाई के लिए महिलाएं भगवान राम के अचर धराई किया गया जिसमें दूरदराज से अयोध्या पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान राम सभी भाइयो को विभिन्न प्रकार के उपहार दिया गया। इसके साथ ही विदाई कार्यक्रम के दौरान भगवान के भजनों पर श्रद्धालुु झूमते नाचते रहे।
इस परम्परा को पुष्पित और पल्लवित करने का श्रेय लक्ष्मण किला के संस्थापक आचार्य स्वामी युगलानन्य शरण महाराज को दिया जाता है। इस परम्परा के अनेक संत हुए जिनमें रंगमहल के संस्थापक स्वामी सरयू सखी महाराज जी भी प्रमुख रुप से रहे। अपनी परम्पराओं का निर्वहन आज भी रंग महल के पीठाधीश्वर महंत रामशरण दास महाराज जी कर रहे है। रंग महल मंदिर में महंत रामशरण दास जी महाराज के पावन सानिध्य में कुवर कलेवा मनाया गया। इस महोत्सव की देखरेख व व्यवस्था पुजारी साकेत जी व राहुल जी ने किया।वधू पक्ष से मीना वर्मा पत्नी इंद्र बहादुर वर्मा गोरखपुर, पनमती देवी पत्नी स्वर्गीय गजाधर वर्मा , लीलावती देवी पत्नी सत्यानंद वर्मा , संतोषी वर्मा पत्नी प्रभाकर वर्मा, सुमन वर्मा पत्नी राकेश वर्मा , रेखा वर्मा पत्नी राधारमण वर्मा , प्रीति वर्मा पत्नी सागर वर्मा ,रितु वर्मा पत्नी रजत वर्मा, आकाश वर्मा, राहुल वर्मा, सोहन वर्मा, प्रिंस वर्मा रहें।