हनुमान बाग में चल रहे श्रीमद् वाल्मीकीय कथा सुनने उमड़ रहे हैं श्रद्धालु

अयोध्या। श्रीराम जन्म महोत्सव के पावन अवसर पर सिद्धपीठ श्री हनुमान बाग में चल रही श्रीमद् वाल्मीकीय रामायण कथा में दूसरे दिन कथाव्यास प्रख्यात कथावाचक जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी डॉ. राघवाचार्य जी महाराज ने कहा कि संसार में दुख क्यों है, इस पर मंथन करें तो यह समझ में आता है कि हम संसार में हैं इसीलिए दुख है। यदि हमारा संसार में बार-बार जन्म ही ना हो तो हमें दुख ही नहीं होगा। इसीलिए बार-बार जन्म और मरण के चक्र से मुक्ति पाने के लिए मोक्ष की प्राप्ति ही एकमात्र उपाय है।उन्होंने कहा कि मोक्ष की प्राप्ति भगवान के स्मरण से ही होगी। इसीलिए हमें अपना मन भगवान के स्मरण में लगाना चाहिए, ताकि हमें संसार के बंधन से मुक्ति मिल सके। व्यासपीठ से रामानुजाचार्य जी महाराज ने कहा कि धन, पुत्र, परिवार, यश, कीर्ति तो व्यक्ति को अपने पूर्व कर्मो से मिलते हैं। लेकिन सत्संग की प्राप्ति भगवान की कृपा का फल है। धर्म को जानना हो तो भगवान के चरित्र का श्रवण करना चाहिए। कथा के दूसरे दिवस पर उन्होंने बताया कि रामायण को शास्त्रों में कल्पवृक्ष की संज्ञा दी गई है, कल्पवृक्ष के बारे में कहा गया है कि कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर कामना करने से कामना पूर्ण हो जाती है, उसी तरह इस भवसागर को पार करने का सुगम मार्ग रामायण है। उन्होंने कहा कि रामायण हमें जीवन को जीने की कला सिखाती है, दुनिया में महंगे से महंगे विद्यालय एवं यूनिर्वसिटी खुली हुई हैं, लेकिन मनुष्य को मनुष्य बनाने का विद्यालय कहीं नहीं है, केवल सनातन धर्म ही है, जहां मनुष्य को अच्छा व सात्विक जीवन जीने का मार्ग दिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि जीव का मन सत्संग व कथा सुनने में लग जाए तो उसकी आत्मा का परमात्मा में मिलना निश्चित है। इसीलिए हमें अपने मन को भगवान की भक्ति में लगाना चाहिए। कथा में यजमान शुभ लक्ष्मी शर्मा, निशांत शर्मा रायपुर छत्तीसगढ़ ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा में सिद्धपीठ श्री हनुमान बाग के महंत जगदीश दास, मंदिर के व्यवस्थापक सुनील दास, रोहित शास्त्री, पूज्य राघवाचार्य जी के शिष्य परिकर मनोज जी सहित बड़ी संख्या में संत साधक मौजूद रहें।