गहोई मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा की हो रही अमृत वर्षा
अयोध्या। स्वर्गद्वार स्थित गहोई मंदिर में चल रहे श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान महायज्ञ में श्रीमद जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य महाराज ने बताया कि श्रीमद्भागवत का विषय सत्य है आदि, मध्य और अंत तीनों सत्य से संपुटित है। निश्चित रूप से जब जीवन की आस्था सत्य पर स्थापित हो जाती है तब सत्य स्वरूप परमात्मा आत्मा में उदित हो जाया करते है।उन्होंने कहा कि भागवत की कथा परीक्षित के मोक्ष की कथा है। जब जीवन में अपराध बन जाए तो उस अपराध की निवृत्ति शरणागति में ही संभव है और जब एक समर्थ सदगुरू की शरण या गति प्राप्त हो जाती है तब परीक्षित जैसे व्यक्ति मोक्ष के अधिकारी हो जाते है।
व्यासपीठ से जगतगुरु महाराज ने कहा कि ऋषि का श्राप परीक्षित को मोक्ष की राह पर अग्रसर करता है तब एक महात्मा साधक सिद्ध स्वयं आकर अपने साधना के बल पर भगवान के दिव्य कथाओं का अनुसंधान करके उनके मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त कराते हैं। परीक्षित का अर्थ ही है जिसने ग्राम दृष्टि से गर्भ में परमात्मा का दर्शन कर लिया हो वही परीक्षित है और संसार में आने के बाद उसी परमात्मा की खोज में लगा रहता है। कथा के पूर्व में यजमान रामअवतार सीपोला आशीष शुक्ला आदि ने व्यासपीठ की आरती उतारी।यह महोत्सव गहोई मंदिर के महंत रामलखन शरण महाराज के अध्यक्षता में हो रहा है। कथा श्रवण करने आए सभी भक्तों श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर गौरव दास, शिवेंद्र दास सहित बड़ी संख्या में संत साधक मौजूद रहें।