भाजपा विधायक रहे खब्बू तिवारी की जमानत अर्जी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने की खारिज, जानिए पूरा मामला

DNA Live

December 14, 2021

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने गोसाईगंज विधानसभा से भाजपा विधायक रहे इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी, पूर्व विधायक को अयोध्या की सत्र अदालत ने 29 साल पुराने एक आपराधिक मामले में पांच साल की सजा सुनाई गई थी


लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या जिले के गोसाईगंज विधानसभा से भाजपा विधायक रहे इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। पूर्व विधायक को गत 18 अक्टूबर को अयोध्या की सत्र अदालत ने 29 साल पुराने एक आपराधिक मामले में पांच साल की सजा सुनाई गई थी। जिसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी। अपील के साथ दाखिल जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संगीता चंद्रा की एकल पीठ ने खब्बू तिवारी को जमानत देने से इन्कार कर दिया।

सजायाफ्ता होने के कारण इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी की विधानसभा सदस्यता रद की जा चुकी है। बता दें कि साकेत महाविद्यालय के प्राचार्य ने वर्ष 1992 में इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी के खिलाफ फर्जी मार्कशीट के आधार पर प्रवेश लेने के संबध में एक प्राथमिकी राम जन्मभूमि थाने पर दर्ज करवाई थी। इस केस में अयोध्या की अपर सत्र न्यायाधीश ने 18 अक्टूबर 2021 को खब्बू को दोषी पाते हुए पांच साल की सजा सुनाई है।

फर्जी अंकपत्र का है मामला : गत 18 अक्टूबर को खब्बू तिवारी को सजा सुनाए जाने के बाद ही यह आशंका थी कि खब्बू तिवारी की विधानसभा से सदस्यता रद हो जाएगी। यह मामला फर्जी अंकपत्र के आधार पर महाविद्यालय में प्रवेश लेने का है। साकेत महाविद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य यदुवंश राम त्रिपाठी ने 18 फरवरी, 1992 को रामजन्मभूमि थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी। प्राथमिकी के मुताबिक खब्बू तिवारी ने 1990 में बीएससी द्वितीय वर्ष की परीक्षा अनुत्तीर्ण होने पर फर्जी अंकपत्र के आधार पर अगली कक्षा में प्रवेश ले लिया।

13 साल बाद भेजी गई थी चार्जशीट : वर्ष 1992 में दर्ज मामले की चार्जशीट 13 साल बाद अदालत भेजी गई। अदालत में मुकदमे की पत्रावली से कई मूल दस्तावेज भी गायब हो गए। अदालत में सभी दस्तावेजों की प्रतियां तैयार कराकर सुनवाई आगे बढ़ाई गई। वादी यदुवंशराम त्रिपाठी की मृत्यु भी केस परीक्षण के दौरान हो गई। साकेत महाविद्यालय के तत्कालीन अधिष्ठाता महेंद्र कुमार अग्रवाल, गोपनीय कार्यालय के रामबहादुर सिंह व अन्य गवाहों ने अदालत में गवाही दी। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अरुण प्रकाश त्रिपाठी ने अभियुक्तों को कड़ी से कड़ी सजा देने की दलीलें दी थीं।

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