रामनगरी का प्रसिद्ध रामायण मेला ढूढ रहा अपना अस्तित्व
अव्यवस्थाओं के बीच आज रामायण मेला का हुआ उद्घाटन
अयोध्या । चार दशक से शुरू हुए रामायण मेला अब महज औपचारिक बनकर रह गया है। मेले के प्रति लोगों का आकर्षक भी अब पहले जैसा नहीं रहा। कभी लाखों के भीड़ की गवाह बने रामायण मेला में अब सैकड़ों की संख्या भी जुटानी मुश्किल हो चली है। आयोजन समिति, सरकारी सहायता न मिलने का रोना-रोकर अपना पल्ला झाड़ लेती है। तो वहीं अयोध्या के प्रमुख मठाधीश भी इस मेले को लेकर अपना नाम ढो रहे है। लेकिन मेले लिए बुनियादी जरूरतों को मुहैया करने के नाम पर अपने हाथ खड़े कर लेते है। 40 वर्ष पहले रखी गयी रामायण मेला की नींव अब जर्जर हो चुकी है। औपचारिकता के नाम पर स्थानीय कलाकारों व कथावाचकों के हवाले करके रामायण मेला को उसके हाल पर छोड दिया गया है। जिले में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा का दबदबा है लोकसभा सदस्य भाजपा का, 5 विधानसभा सीटें इनके कब्जे में है, नगरनिगम बनने के बाद हुए मेयर के चुनाव में भी सत्ता दल भाजपा के महापौर ने जीत हासिल की है, तो वही योगी आदित्यनाथ सूबे के मुखिया का लगाव अयोध्या से काफी है,जो किसी से छुपा नहीं है। राजनैतिक रूप से खुशहाल इस क्षेत्र में रामायण मेला की दयनीय स्थिति उस सच्चाई के सामान है जिसे किसी भी कीमत पर दर किनार नहीं किया जा सकता है इन सभी हालात के बीच न तो किसी राजनैतिक दल को रामायण मेलें में दिलचस्पी है और न ही उस भावना की जिसे पिरोकर रामायण समारोह की शुरूआत की गयी थी। अयोध्या में होने वाले इस मेले को राजनैतिक कारणों से लगातार हानि पहुंची है। सत्तारूढ़ दल के माननीय भी इस मेले की दशा सुधारने में कोई रूचि नहीं दिखा रहे है। रामायण मेला औपचारिकता मात्र बनकर रह गया है। जब से सूबे में योगी सरकार बनी अयोध्या में भव्य दीपोत्सव रामायण मेले के लगभग 1 महीने पहले मनाया जाता है जिसकी भव्यता के कारण रामायण मेला का अस्तित्व धीरे-धीरे कम होता नजर आ रहा है। रामायण मेले की शुरुआत उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र ने 1982 में किया था तब यह रामायण मेला राम की पैड़ी पर मनाया जाता था राम की पैड़ी बनने के उपरांत यह रामायण मेला अपना स्थान परिवर्तन करता रहा लेकिन राम कथा पार्क बनने के बाद यह अस्थाई हो गया और निरंतर वहीं पर अगहन मास की विवाह पंचमी के अवसर पर तीन दिवसीय मनाया जाने लगा। वैसे तो रामायण मेले का उद्घाटन लगभग सूबे के मुख्यमंत्री करते थे और समापन विधानसभा अध्यक्ष लेकिन इस रामायण मेले से इसका उद्घाटन कौन करेगा यह अंतिम सत्र में भी तय नही किया जा सका। आज इस मेले का शुभारम्भ मणिरामदास छावनी के महंत एवं मेला समिति के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास जी के उत्तराधिकारी महंत कमननयन दास, रसिक पीधाधीश्वर जनमेजय शरण, दिगम्बर अखाड़ा महंत सुरेश दास, श्री रामाश्रम साधनाश्रम महंत जयराम दास, हनुमानगढ़ी महंत बलरामदास, वरूण दास, रामलखनदास आदि प्रमुख रहे। कार्यक्रम का संचालन संत कमलेश दास पुरूषोत्तम दास द्वारा किया गया। रामायण मेला 10 तक चलेगा।