कनक महल में महामंडलेश्वर स्वामी श्री इंद्रदेवजी सरस्वती महाराज के श्रीमुख से बह रही रामकथा की अमृत वर्षा



अयोध्या। भगवान के कथा श्रवण से मनुष्य के शरीर मे ज्ञान की उत्पति होती है, इससे तन, मन में शुद्धता आती है। कलियुग में रामनाम का स्मरण इस भवसागर से पार करने वाला है। समाज के प्रत्येक वर्ग को जोड़ने वाले राम है। भगवान राम आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।उक्त बातें कनक महल जानकी घाट अयोध्या में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा में प्रख्यात कथावाचक श्री धाम वृंदावन से पधारे क्रांतिकारी राष्ट्रीय संत महामंडलेश्वर स्वामी श्री इंद्रदेवजी सरस्वती महाराज ने कही। कथा का शुभारंभ के पूर्व अयोध्या के शीर्षस्थ संतो जिनमें श्री राम वल्लभा कुंज के अधिकारी राजकुमारदास जी महाराज, अशर्फी भवन पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानुजाचार्य श्रीधराचार्य जी महाराज, लक्ष्मण किलाधीश मैथिली शरण जी महाराज, महंत सीताराम दास महत्यागी जी महाराज, उदासीन ऋषि आश्रम उदासीन ऋषि आश्रम रानोपाली के महंत डॉक्टर स्वामी भरत दास जी, रामशरण दास रामायणी जी एवं अन्य संत महंतों के कर कमलों से दीप प्रज्वलन एवं आशीर्वचन के उपरांत महाराज श्री ने कथा आरंभ की।
श्रीराम वल्लभा कुंज के अधिकारी राजकुमार दास महाराज ने कहा इंद्रदेव जी आज की युवा पीढ़ी को सशक्त एवं संस्कारित करने का सफल सार्थक कार्य कर रहे हैं। महाराज श्री की तेजस्विता एवं सेवा कार्यों से समाज में सात्विकता फैल रही है वहीं रामशरण दास रामायणी जी ने कहा महाराज जी का व्यसन मुक्ति पर वक्तव्य बहुत प्रभावी और क्रांतिकारी होता है जो मनुष्य को बुराइयों से मुक्त होने के लिए विवश कर देता है।
व्यासपीठ से कथा का महत्त्व बताते हुए महामंडलेश्वर स्वामी श्री इंद्रदेवजी सरस्वती महाराज ने कहा कि राम कथा सुनाते हुए सर्वप्रथम श्रोताओं को मन की शुद्धि की बात कही पहले कथा और कथा वक्ता पर श्रद्धा हो तभी हमारा राम कथा के माध्यम से उद्धार होता है। मन और आचरण के श्रेष्ठ होने पर रामकथा के श्रोता बनने की हमें पात्रता प्राप्त होती है इसीलिए सर्वप्रथम हमें मांस मदिरा व्यसन जुआ आदि का त्याग करने के उपरांत राम जी की भक्ति भजन साधन करते हुए राष्ट्र सेवा में अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। अच्छी संगत सत्संग और भजन मनुष्य जीवन की सिद्धि के अनमोल रत्न है। कथा में मुख्य रुप से एसएसपी शैलेश पांडे, विकास श्रीवास्ताव, रानोपालीवासी महाराज जी के परम भक्त दुबे जी सहित बड़ी संख्या में संत साधक मौजूद रहें।