रामकथा पर केंद्रित लेजर शो से सुरसर मंदिर का परिसर देदीप्यमान हो उठा

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November 8, 2022

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक संगठन अखिल भारत जयगुरू संप्रदाय एवं ओमकारनाथ मिशन की तत्वावधान में आयोजित रामोत्सव का हुआ भव्य समापन

जिलाधिकारी नितिश कुमार का रामोत्सव के समापन पर महासचिव प्रियनाथ ने किया अभिनन्दन

अयोध्या। श्रीराम का नाम स्वयं में उत्सव है और यदि उनके नाम पर ही कोई उत्सव संयोजित हो तो वह महोत्सव बन जाता है। यह सचाई सुरसर मंदिर में अखिल भारतीय जय गुरु संप्रदाय की ओर से आयोजित रामोत्सव से परिभाषित हुई। रामकथा पर केंद्रित लेजर शो से सुरसर मंदिर का परिसर पहले से ही देदीप्यमान हो रहा होता है और देर शाम तक श्रीराम पर ही केंद्रित पदों के गायन से इस दिव्यता को शिखर का स्पर्श मिलता है। तो दीप उत्सव ने पूरे कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया।
रामनगरी अयोध्या के प्रसिद्ध पीठ सुरसर मंदिर में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक संगठन अखिल भारत जयगुरू संप्रदाय एवं ओमकारनाथ मिशन की तत्वावधान में आयोजित रामोत्सव अपने चरम पर दिखा। देव दीपावली के पावन अवसर पर पूरा सुरसर मंदिर दीप मालाओं से सजी नजर आयी। चारों तरह दीप जगमगा रहे थे। मानो दीपावली मनायी जा रही हो। पूरा मंदिर परिसर खुशियों से सराबोर दिखा हर तरह सिर्फ उत्साह व उमंग दिख रहा था। कार्यक्रम के अंतिम दीन पूरी नगरी में सिर्फ सुरसर मंदिर की गूज दिखी। पहले दिन अद्भुत ऐतिहासिक लेजर शो जो रामायण पर आधारित था। ऐसा शो जो पूरा माहौल राममय कर दिया साथ ही रामनगरी के संतों की मौजूदगी पूरे महोत्सव में चार चांद लगा रहे थे।
दूसरें दिवस पर सन्यासी देश नायक गुमनामी बाबा के फिल्म का प्रमोशन हुआ। साथ ही फिल्म के डायरेक्टर अमलान कुसुम घोष का व्याख्यान हुआ इसी के साथ रामायण में प्रशासनिक व्यवस्थाओं को कैसे व्यवस्थित किया जाता है इस विषय पर सीनियर आईएएस वी ललिता लक्ष्मी ने बहुत सुंदर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया।प्रख्यात भजन सम्राट राजू दास ने अपने सुरों की ऐसी महफिल सजाई हर कोई वाह वाह करते दिखे। इसके बाद आज कार्यक्रम के अंतिम दिवस पर पूरा सुरसर मंदिर दीप मालाओं से सजी दिखी। चारों तरह दीपक सजे रहें। 1 लाख दीपों से पूरा सुरसर मंदिर सजा रहा। यह पूरा आयोजन संप्रदाय आचार्य किंकर विठ्ठल रामानुज महाराज के पावन सानिध्य में हुआ। इस सफल आयोजन के पीछे अखिल भारतीय जयगुरु सम्प्रदाय ट्रस्ट से जुड़े महासचिव प्रियनाथ चट्टोपाध्याय व इंद्राणी चट्टोपाध्याय ने दिन रात एक करके आयोजन को सफल बनाया।

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