चक्रवर्ती महाराज श्रीदशरथजी के राजमहल बड़ास्थान में श्री सीताराम विवाह महोत्सव में बह रही रामकथा की अमृत वर्षा
अयोध्या। रामनगरी के चक्रवर्ती महाराज श्रीदशरथजी के राजमहल बड़ास्थान में श्री सीताराम विवाह महोत्सव का उल्लास अपने चरम पर है। व्यासपीठ से श्री रामकथा की अमृत वर्षा जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी के श्री मुख से हो रहा है। कथा के पंचम दिवस में रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि राम कथा तन-मन को पवित्र कर उज्ज्वल करने के साथ-साथ जीवन शैली और आत्मा को नया रूप देती है। श्री रामकथा का महत्व हमेशा से है और आगे भी रहेगा। यह भगवान के लीला चरित्र गुणों की गाथा है। इसके श्रवण और कथन के प्रति हमेशा एक नवीनता का भाव बना रहता है। पूज्य महाराज जी ने कहा कि किसी आम व्यक्ति के जीवन चरित्र को एक दो या चार बार सुनने के बाद उसके प्रति उबन पैदा हो जाता है लेकिन यह भगवान की कथा है सत्य की कथा है इस नाते हमेशा कुछ न कुछ नया लगता है। इसे बार-बार कहने एवं सुनने की इच्छा हमेशा बनी रहती है। भगवान राम लक्ष्मण भरत और शत्रुहन के चरित्र में प्रदर्शित त्याग और तपस्या की बातों को निरंतर श्रवण करते रहने से सुनने वाले के अंदर भी ऐसे ही महान गुणों का समावेश हो जाता है। हमेशा भगवान की कथा सुननी चाहिए हर घर में रामचरित मानस हो तथा नित्यदिन इसको पढ़े व लोगों को श्रवण कराएं। रामदिनेशाचार्य जी ने कहा कि हनुमान जी को रामनाम प्रिय है जहां भी रामकथा होती है वहां वे कथा सुनने आते हैं। हनुमान जी के हृदय में श्रीराम का निवास है। भगवान कभी जन्म नही लेते है हमेशा अवतार होता है। व्यासपीठ का पूजन यजमान नरेश कुमार गर्ग व उनकी धर्मपत्नी कुसुमलता गर्ग ने किया। महोत्सव का सफल संचालन कार्यक्रम के व्यवस्थापक बिंदुगाद्यायाचार्य जी महाराज के कृपापात्र शिष्य मंगल भवन व सुंदर सदन पीठाधीश्वर महंत कृपालु रामभूषण दास जी कर रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता चक्रवर्ती महाराज श्री दशरथजी के राज महल बड़ा स्थान के महंत बिंदुगाद्यायाचार्य स्वामी देवेन्द्र प्रसादाचार्य जी महाराज कर रहे है। राम कथा में श्रीराम बल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमार दास जी महाराज सहित रामनगरी के विशिष्ट संत धर्माचार्य व दशरथ राज महल बड़ा स्थान से जुड़े संत साधक सहित रमेश दास शास्त्री, कामधेनु पीठाधीश्वर महंत आशुतोष दास,गौरव दास शास्त्री, शिवेंद्र शास्त्री सहित सैकड़ों संत महंत एवं राम कथा के रसिक गण उपस्थित रहे।
