श्री रामलला देवस्थानम में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का छाया उल्लास, चारों तरफ मंगलध्वनि की बज रही शहनाई
चेन्नई के मशहूर आर्किटेक्ट ने तैयार किया भव्य मंदिर का डिजाइन
यहां हुआ था भगवान राम समेत चारों भाइयों का नामकरण संस्कार
डा राघवाचार्य वेदों के अभ्यासक एवं मीमांसा के पंडित है तथा स्वयं उच्चविद्याविभुषित है
अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या के रामकोट स्थित श्री राम जन्मभूमि से चंद कदम दूरी पर स्थित दक्षिण भारतीय शैली से बने श्री रामलला देवस्थानम में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का उल्लास चारों तरह नजर आ रहा है। पूरा मंदिर परिसर रंग बिरंगे फूलों से सजा है मंदिर में मंगलध्वनि में शहनाई बज रही है। मंदिर के मुख्य उत्सव में सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों इस महोत्सव का शुभारंभ बुधवार को हो गया है। अयोध्या का यह पहला मंदिर होगा जहां भगवान श्री राम के कुलदेवता भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान रंगनाथन का मंदिर होगा।यह मंदिर किसी दक्षिण भारतीय शहर का नहीं बल्कि अयोध्या में है। दक्षिण भारतीय शैली में बने इस मंदिर में भगवान राम लक्ष्मण और सीता की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना एकमात्र ऐसा मंदिर है जो अयोध्या में दक्षिण भारतीय लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र होने जा रहा है। इस मंदिर में दक्षिण भारतीय परंपरा की झलक देखने को मिलती है।



कहा जाता है कि यह मंदिर वही है जहां भगवान राम लक्ष्मण और उनके दोनों भाइयों का नामकरण संस्कार हुआ था। इस कारण इस जगह को रामलला सदन मंदिर के नाम से जाना जाता है। खास बात यह है कि यहां श्री रामलला, माता जानकी और लक्ष्मण की जो मूर्ति स्थापित की गई है वह भी दक्षिण भारत से अयोध्या लाई गई हैं। दूसरी एक और उत्सव मूर्ति है जो अम्मा जी मंदिर से लायी गयी है जो काफी प्राचीन मूर्ति है। बता दें कि श्री रामलला सदन काफी प्राचीन स्थान है। मंदिर के संस्थापक श्रीमद्जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री राघवाचार्यजी महाराज ने बताया कि इस मंदिर का डिजाइन चेन्नई के मशहूर आर्किटेक्ट स्वामीनाथन ने तैयार किया है।
श्री रामलला देवस्थानम ट्रस्ट, अयोध्या
अयोध्या स्थित अनेक मंदिर और मठ श्रीमद्जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री राघवाचार्यजी महाराज के नेतृत्व में कार्यरत है। श्री महाराजश्री वेदों के अभ्यासक एवं मीमांसा के पंडित है तथा स्वयं उच्चविद्याविभुषित है। स्वामीजी का प्रमुख उद्देश्य है की प्राचीन और सांस्कृतिक सनातन धर्म से समाज को परिचित करवाना। अपना समाज वेदों के बताये हुए धर्म के मार्ग पर चले, जिस से उन्हें मिले हुवे मानव जन्म का सार्थक हो। बचपन से ही स्वामीजी को देववाणी संस्कृत भाषा और वेदशास्त्र से लगाव था।
श्रीविग्रह की प्राणप्रतिष्ठानंतर मंदिर में दाक्षिणात्य पद्धति से सभी उत्सव मनाये जायेंगे, जिसमें भगवान की रथयात्रा, पालकी, ब्रह्मोत्सव आदि हैं।वसंतमंडपम् में प्रमुख उत्सवों के समय भगवान की उत्सवमूर्ति विराजित होगी। यज्ञशाला में विधिवत यज्ञादि होंगे। उत्सव के समय दक्षिण भारतीय वादकों के लिए स्वतंत्र मंडपम् नियोजित है। कार्यक्रम में आज बड़ा भक्तमाल आश्रम के पीठाधीश्वर श्रीमहंत कौशल किशोर दास व उनके उत्तराधिकारी महंत समाजसेवी महंत अवधेश दास जी महाराज का डा राघवाचार्य महाराज ने अभिनन्दन किया। अभिनन्दन करने में महोत्सव के मुख्य यजमान गोविंद कुमार लोहिया जी भी रहें। इस मौके पर महंत नागा रामलखन दास जी महाराज सहित बड़ी संख्या में स्वामीजी के शिष्य परिकर संत धर्माचार्य मौजूद रहें।