राममंदिर परिसर में लगे रामानंदाचार्य भगवान की सबसे ऊंची प्रतिमा: जगतगुरु परमहंस

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January 23, 2022

जगद्गुरु रामानंदाचार्य भगवान की 722वीं जयंती की पूर्व संध्या पर तपस्वी छावनी में वैदिक रीति से किया गया पूजन-अर्चन

भगवान रामानन्दाचार्य जी का पूजन करते जगद्गुरु परमहंस आचार्य

अयाेध्या। आचार्य पीठ तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी परमहंस आचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग किया है कि रामजन्मभूमि परिसर में श्रीमज्जगद्गुरू रामानंदाचार्य भगवान की 251 मीटर ऊंंची प्रतिमा लगाई जाए। जाे दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा हाे। परमहंस आचार्य ने रविवार को तपस्वी छावनी आश्रम पर जगद्गुरु रामानंदाचार्य भगवान की 722वीं जयंती की पूर्व संध्या पर वैदिक रीति से उनका पूजन-अर्चन किया। उसके बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि भगवान के 24 अवतार हुए हैं। उसके बाद 25वें अवतार के रूप में भगवान स्वयं जगद्गुरु रामानंदाचार्य के रूप में अवतरित हुए। जिन्होंने सभी वर्गाें काे जाेड़ने का काम किया। दुनिया में जितने भी आचार्य हुए हैं। उन सभी के गुरू रामानंदाचार्य भगवान हैं। यहां तक कि उन्हाेंने कबीर और रविदास काे भी अपना शिष्य बनाया। जाे छाेटी जातियों से थे। उनमें कभी काेई भेदभाव नही था। आज देश में शंकराचार्य और रामानुजाचार्य की प्रतिमा बनाकर लगा दी गई है। लेकिन रामानंदाचार्य भगवान की प्रतिमा कहीं नही लगी है। इसलिए मेरी पीएम माेदी से मांग है कि रामजन्मभूमि परिसर में जगद्गुरु रामानंदाचार्य भगवान की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाई जाए। क्याेंकि वह साक्षात भगवान राम हैं। उन्होंने जगद्गुरु के रूप में अवतार लेकर सभी वर्गाें का कल्याण किया। दलित समाज के रविदास काे अपना शिष्य बनाया। यदि राममंदिर परिसर में रामानंदाचार्य की प्रतिमा नही लगाई गई। ताे यह दलित समाज की उपेक्षा और अनादर हाेगा। स्वामी परमहंस ने कहा कि अयाेध्या में रामानंदाचार्य चाैक, मार्ग, द्वार और स्मारक यत्र-तत्र बनाया जाना चाहिए। तभी अयाेध्या की सुंदरता देखते हुए बनेगी।
वहीं आलापुर, अंबेडकरनगर से आए दलित समाज के बच्चूलाल भारतीय ने कहा कि स्वामी परमहंस आचार्य की मांग जायज है, जिसका हम दलित समाज के लाेग समर्थन करते हैं। राममंदिर परिसर में जगद्गुरु रामानंदाचार्य भगवान की 251 मीटर ऊंंची प्रतिमा अवश्य लगाई जानी चाहिए। यह सभी रामभक्ताें की मांग है। कबीर व रविदास छाेटी जाति से थे। उनके गुरू भी रामानंदाचार्य रहे, जिन्हें पूरी दुनिया जानती है। माेदी से ज्यादा सम्मान आज तक दलिताें का किसी ने नही किया है।

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