राम के चरित्र में पग-पग पर मर्यादा, त्याग, प्रेम और लोकव्यवहार के दर्शन होते हैं: राघवेंद्र बुआ

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November 15, 2022

हनुमान बाग मंदिर में राम कथा का हुआ भव्य शुभारंभ, भक्तों ने मराठी परम्परा में किया नृत्य व गायन

मराठी भाषा में रहे रामकथा को हिन्दी में  हनुमान बाग के श्रीमहंत जगदीश दास महाराज भक्तों में समझा रहें

अयोध्या। राम सिर्फ दो अक्षर का नाम नहीं, राम तो प्रत्येक प्राणी में रमे हुये है, राम चेतना और सजीवता का प्रमाण है। अगर राम नहीं तो जीवन मरा है। इस नाम में वो ताकत है कि मरा-मरा करने वाला भी राम-राम करने लगता है। इस नाम में वो शक्ति है, जो हजारों-लाखों मंत्रों के जाप में भी नहीं है। उक्त बातें मराठी भाषा में प्रख्यात कथावाचक समर्थ भक्त राघवेंद्र बुआ देशपांडे जी ने हनुमान बाग मंदिर अयोध्या के रामकथा कथा में कही। आज हनुमान बाग में श्रीराम कथा का भव्य शुभारंभ हुआ। ये कथा मराठी भाषा में हो रहा है। जिसका हिन्दी में हनुमान बाग के श्रीमहंत जगदीश दास महाराज ने समझाया।यह महोत्सव श्री दत्त सत्संग मंडल द्वारा आयोजित किया गया है जिसमें महाराष्ट्र से सैकड़ों भक्त कथा श्रवण कर रहे है। कथा के क्रम को आगे बढ़ाते हुए समर्थ भक्त राघवेंद्र बुआ देशपांडे ने कहा कि आदिकवि वाल्मीकि ने उनके संबंध में लिखा है कि वे गम्भीर्य में उदधि के समान और धैर्य में हिमालय के समान हैं। राम के चरित्र में पग-पग पर मर्यादा, त्याग, प्रेम और लोकव्यवहार के दर्शन होते हैं। राम ने साक्षात परमात्मा होकर भी मानव के रूप में आकर मानव जाति को मानवता का संदेश दिया। उनका पवित्र चरित्र लोकतंत्र का प्रहरी, उत्प्रेरक और निर्माता भी है।

श्रीमहंत जगदीश दास महाराज कहते है कि जीवन की धन्यता भौतिकीय उत्कर्ष अथवा अर्थ के संग्रहण में नही अपितु नैतिकता, सदाचार आदि उच्चतम जीवन मूल्यों एवं लोकोपकारी प्रवृत्तियों में समाहित है। जीवन जीने के लिए वेद विहित, शास्त्र-सम्मत, गुरु द्वारा उपदेशित एवं महापुरुषों द्वारा आचरित मार्ग ही श्रेष्ठ है। अतः सदाचार सम्पन्न रहें। महंत जगदीश दास जी ने कहा कि तीन बातों को हमेशा जीवन में उतारना चाहिए। अर्पण, तर्पण, व समर्पण। जो कुछ भी मिला है उसे ईश्वर की कृपा माने, उसे अर्पित करें।आज कथा के पूर्व महराष्ट्र से आये भक्तो ने लोकनृत्य प्रस्तुत किया जिसको लोगों ने खूब सराहा। महोत्सव की व्यवस्था में हनुमान बाग के सुनील दास, पुजारी योगेंद्र दास, रोहित शास्त्री, नितिश शास्त्री गोलू शास्त्री आदि लगे है। इस महोत्सव में केशव गलान्डे, सरयू गलान्डे, विजय कुमार कुलकर्णी, विनाया कुलकर्णी,माधव वालिंम्बे,मधुर वालिंम्बे सहित बड़ी संख्या से ठाणे महाराष्ट्र से भक्त मौजूद रहें।

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