पुरूषाेत्तमाचार्य जी ने राममन्दिर आन्दाेलन में अमिट छाप छोड़ी, जिसे कभी भुलाया नही जा सकता
अयोध्या। राम मंदिर आन्दोलन का मुख्य केंद्र रहा श्री सुग्रीव किला के संस्थापक आचार्य रामानुजाचार्य स्वामी पुरूषाेत्तमाचार्य जी महाराज का तीसरी पुण्यतिथि बड़े ही हावभाव के साथ मनाया गया। महोत्सव का समापन शनिवार को वृहद भंडारे के साथ संत धर्माचार्यों ने आचार्य श्री को श्रद्धांजलि अर्पित की।रामानुजाचार्य स्वामी पुरूषाेत्तमाचार्य जी महाराज का प्रभु श्रीराम से अगाध प्रेम था। यही कारण था कि वह राममन्दिर आन्दाेलन में शुरूवाती दाैर से ही जुड़ गए और उनका आश्रम आन्दाेलन का मुख्य केन्द्र विन्दु बना। जहां से समय-समय पर उसे गति दी गई। वह रामजन्मभूमि आन्दाेलन के अग्रणी याेद्धाओं में से एक थे। जिन्हाेंने भगवान राम और राममन्दिर के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्हाेंने मन्दिर आन्दाेलन में अमिट छाप छोड़ी। जिसे कभी भुलाया नही जा सकता है। उनका सपना था कि श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मन्दिर बने। हमारे रामलला टाट-पट्टी से निकलकर दिव्य भवन में विराजमान हाे। राममन्दिर का भव्य निर्माण कार्य जारी है।जिससे महाराजश्री का सपना जल्द साकार हाेने वाला है। पूज्य आचार्य के 3वीं पुण्यतिथि पर रामनगरी के संत धर्माचार्य का स्वागत परम्परागत तरीकें से आश्रम के वर्तमान पीठाधीश्वर जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य महाराज व मुख्य पुजारी स्वामी अनंत पद्मनाभाचार्य जी ने किया।जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य महाराज कहते है कि महाराज श्री काे देखकर ही हम बड़े हुए हैं। उनके आदर्शों व किए गए कार्याें काे कभी भुलाया नही जा सकता है। उन्हाेंने रामजन्मभूमि के लिए बहुत त्याग किया। अब राममन्दिर का निर्माण शुरु हो गया है। हमारे गुरू की भी आखिरी इच्छा थी कि भव्य मन्दिर का निर्माण हाे और हमारे रामलला टेण्ट से निकलकर दिव्य भवन में विराजमान हाें। जाे अब पूरी हाेने जा रही है। लेकिन मलाल यही रहेगा कि वह अपने जीते-जी अपनी आंखाें से राममन्दिर का निर्माण देख पाए।इस मौके पर महंत सुरेश दास, जगद्गुरू रामदिनेशाचार्य, महंत रामकुमार दास, महंत रामभूषण दास कृपालु, महंत उद्धव शरण, महंत जनमेजय शरण,नागा रामलखन दास सहित बड़ी संख्या में संत साधक मौजूद रहें।