143वीं पुण्य तिथि का समारोह पूर्वक हुआ समापन
अयोध्या । न केवल साधना बल्कि अपनी विद्वता के चलते श्रीरामभक्ति की मधुरशाखा के अनमोल रत्न बने आचार्य पीठ श्री लक्ष्मणकिला के संस्थापक स्वामी युगलानन्य शरण को उनकी 143 वीं पुण्यतिथि पर उनकी तपोस्थली लक्ष्मण किला में समारोहपूर्वक श्रद्धांजलि दी गई।रामनगरी की प्रधानतम पीठों में शुमार श्री लक्ष्मण किला के संस्थापक व राम भक्ति धारा के संत शिरोमणि आचार्य श्री स्वामी युगलानन्यशरण जी महराज को आज धर्म नगरी अयोध्या के संतो महन्तो व शिष्य गणों ने नमन करते हुये श्रद्धा सुमन अर्पित किया। किलाधीश महन्त मैथिली रमण शरण ने बताया कि आचार्य श्री का 143वीं पुण्य तिथि पर आज प्रातः स्वामी जी द्वारा रचित ग्रंथों नामकांति, रूपकांति, लीलाकांति व धामकांति का का सामूहिक पाठ किया गया। किलाधीश महन्त मैथिली रमण शरण ने बताया कि अगहन कृष्ण सप्तमी यानी आज अचार्य श्री को रामनगरी के संतो महन्तो ने नमन किया। उन्होने बताया कि आये हुये अतिथियों का स्वागत परम्परागत तरीके से प्रख्यात साहित्यिक हनुमान निवास मंदिर के महन्त मिथिलेश नन्दनी शरण व किला के युवा संत सूर्य प्रकाश शरण ने किया। इस अवसर पर हनुमत सदन के महन्त अवध किशोर शरण, जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, महंत कृपालु रामभूषण दास, महंत अवध बिहारी दास, महंत गौरीशंकर दास, महंत जनार्दन दास, महंत सनद कुमार शरण, महंत परशुराम दास, महंत रामजीशरण, महंत रामकुमार दास, महंत अवधेश दास, महंत सीताराम दास त्यागी, महंत अगंद दास,महंत जयरामदास, महामंडलेश्वर आशुतोष दास, पूर्व सांसद विनय कटियार, महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, पार्षद पुजारी रमेश दास, पार्षद आलोक मिश्रा, पार्षद महेंद्र शुक्ला सहित बड़ी संख्या में संत महन्त व भक्तगण मौजूद रहे।