श्रीराम के राज्याभिषेक के साथ समारोहपूर्वक रामकथा का समापन

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March 3, 2022

अखिल भारतीय श्रीपंच तेरह भाई त्यागी खाक चौक में महंत अयोध्या दास के अध्यक्षता में हुआ विशाल भंडारा

अखिल भारतीय श्रीपंच तेरह भाई त्यागी खाक चौक में भक्तों के साथ बैठे महंत अयोध्या दास

अयोध्या। जो किसी का अहित न करे, जो किसी के अहित की न सोचे वही साधु हैं। रुप बनाने से साधु नहीं बन जाते। उक्त बातें प्रख्यात राम कथा वाचक महंत अयोध्या दास जी महाराज ने खाक चौक में श्री रामकथा के समापन दिवस पर श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि रामायण के सभी पात्र आदर्श प्रस्तुत करते हैं। कहा कि श्रेष्ठ वही है जो पूरे समाज को समेटकर चलता है। कहा कि हमने ये किया हमने वो किया ऐसा न कहें। कहा कि आजकल बिना कुछ किए श्रेय लेने की होड़ मची है। श्रेय लेने से बचना चाहिए। कहा कि भक्त वो है जो अपनी उपलब्धि को अपनों में बांटता है। उन्होंने कहा कि कोई कार्य प्रसन्न मन से शुरू करें तो सफलता में संदेह नहीं हो सकता। सूर्पनखा के पति की हत्या रावण ने की थी। इसलिए सूर्पनखा रावण का विनाश चाहती थी। भगवान राम से रावण की शत्रुता का कारण वह बनी ताकि रावण का विनाश हो। कहा कि जब खरदूषण के वध होने की बात सूर्पनखा ने रावण को सुनाई तो रावण समझ गया भगवान का अवतार हो गया। सोचा तामस देह से भक्ति नहीं होगी तो मुक्ति के लिए उसने भगवान राम से बैर की युक्ति सोची। महंत अयोध्या दास जी ने कहा कि रावण को विभीषण से प्रेम था। इसलिए उसे अपमानित कर सभा से निकाल दिया ताकि लंका से दूर चला जाए और युद्ध में मारा न जाए। वह जानता था कि लंका के सारे योद्धा मारे जाएंगे। लंका की सत्ता संभालने के लिए विभीषण को जिंदा रखना चाहता था रावण। कहा कि भगवान राम ने रावण के सारे योद्धाओं, परिजनों व दैत्य सेना को मारकर उद्धार कर दिया। विभीषण को राजतिलक देकर सीता और लक्ष्मण, हनुमान, सुग्रीव, जाम्बवान, अंगद आदि के साथ अयोध्या आए। अयोध्या में खुशियां मनाई गई। भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ। कथा के समापन पर आज मंदिर में विशाल भंडारे का दिव्य आयोजन किया गया। जिसमें रामनगरी के संतों का महंत अयोध्या दास व श्रीराम कथा महोत्सव के यजमान ने परम्परागत तरीकें से स्वागत किया। इस अवसर पर खाक चौक के श्रीमहंत बृजमोहन दास, श्रीमहंत कृष्ण गोपाल दास, महंत श्री पुजारी रामचरण दास, महंत परशुराम दास, महंत धर्मदास, महंत अयोध्या दास, महंत बालयोगी रामदास, महंत कमलादास रामायणी, महंत विजयरामदास यजमान श्रीमती राजेश्वरी श्री परमेश्वर वैष्णव सहित बड़ी संख्या में संत साधक मौजूद रहें।

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