हनुमान बाग में रामेश्वरबापू हरियाणी व्यासपीठ से राम कथा की अमृत वर्षा कर रहें

द्धितीय दिवस पर कथाव्यास ने कहा, जिस देश में युवा का जीवन धर्म के लिये समर्पित हो जाये वह समाज व राष्ट्र धन्य हो जाता है
कथा में निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास महंत नंदराम दास सहित सैकड़ों महंतों का हुआ स्वागत
अयोध्या। श्रीलक्ष्मण का चरित्र अर्पण ,समर्पण और विसर्जन का चरित्र है।उन्होंने अपने जीवन को श्रीराम की सेवा में समर्पित कर दिया है।श्रीराम धर्म की प्रतिमूर्ति है।राम धर्म के स्वरूप है।राम सनातन धर्म के प्रतीक है।राम धर्म की आत्मा है। उक्त बातें रामेश्वरबापू हरियाणी ने हनुमान बाग मंदिर में राम कथा के द्धितीय दिवस में कही। प्रख्यात कथावाचक रामेश्वरबापू हरियाणी जी ने बताया कि लक्ष्मण का जीवन धर्म के प्रति समर्पित है।देश के हर युवा के प्रतीक है लक्ष्मण।जिस देश में युवा का जीवन धर्म के लिये समर्पित हो जाये वह समाज व राष्ट्र धन्य हो जाता है।श्रीराम राष्ट्र के मंगल के लिये यात्रा करते हैं और लक्ष्मण उनके सहयोगी है।जिस देश के युवा राष्ट्र धर्म और सेवा धर्म के समर्पित होते है वही रामराज्य की स्थापना होती है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण शब्द का अर्थ होता है जिसका मन लक्ष्य में लगा हो।जिस युवा का मन लक्ष्य से भटक जाता है वो कभी लक्ष्मण नहीं बन सकता।लक्ष्य विहीन युवा,समाज और राष्ट्र नष्ट हो जाता है।जीवन का जो लक्ष्य है उसके प्रति हमारा जीवन पूर्ण समर्पित होना चाहिये। रामेश्वरबापू ने कहा कि धैर्य और संयम सफलता की कुंजी है। जब मन इन्द्रियों के वशीभूत होता है, तब संयम की लक्ष्मण रेखा लाँघे जाने का खतरा बन जाता है, भावनाएँ अनियंत्रित हो जाती हैं। असंयम से मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है इंसान असंवेदनशील हो जाता है मर्यादाएँ भंग हो जाती हैं। इन सबके लिए मनुष्य की भोगी वृत्ति जिम्मेदार है। काम, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या असंयम के जनक हैं व संयम के परम शत्रु हैं। इसी तरह नकारात्मक आग में घी का काम करती है। वास्तव में सारे गुणों की डोर संयम से बँधी हुई होती है। जब यह डोर टूटती है तो सारे गुण पतंग की भाँति हिचकोले खाते हुए व्यक्तित्व से गुम होते प्रतीत होते हैं। रामेश्वरबापू ने गुरूका महिमा गाते हुए बताया की गुरू ईश्वर का ही एक स्वरूप है। राम चरित मानस मे तुलसीदासजी गुरू चरण का महीमा के साथ साथ गुरू चरण रज की महीमा गाई है। गुरू महीमा के साथ साथ बापूजी अवधपुरी का महीमा सरयु मैया का महीमा विशेष रूप मे दर्शन करवाया।उन्होंने कहा कि अयोध्या पावन नगरी स्वर्ग से भी अधिक अयोध्या की महीमा है साथ ही सरयु मैया
के दर्शन से ही पाप नष्ट हो जाते है।आज राम कथा मे सति चरित्र का विशेष रूप से दर्शन करवाया। महोत्सव की अध्यक्षता महंत श्री चंदेश्वर बापू सीताराम कुटीर शीलज अहमदाबाद कर रहे। हनुमान बाग मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत जगदीश दास महाराज का सानिध्य इस महोत्सव को मिल रहा। आज की कथा में निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास, महंत नंदराम दास, राजेश पहलवान, मामा दास, सुनील दास, रोहित शास्त्री, गोलू दास सहित बड़ी संख्या में संत साधक मौजूद रहें।