उत्तर और दक्षिण का सांस्कृतिक संबंध आत्मा और परमात्मा की तरह अविछिन्न है: डा राघवाचार्य
अयोध्या में दिखाई देगी दक्षिण और उत्तर भारत की संस्कृति
राम जन्मभूमि से सटे एक एकड़ भूमि पर द्रविण शैली में बने रहें ऐतिहासिक श्री रामलला देवस्थानम मंदिर में भगवान श्री रामलला के साथ माता सीता व भरत, लक्ष्मण और शत्रुहन के मूर्ति का होगा भव्य प्राणप्रतिष्ठा

अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जन्म भूमि से सटे दिव्य भव्य द्रविण शैली में बन रहें श्री रामलला देवस्थानम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि के रुप में सूबे के मुखिया योगी आदित्यना 1 जून को शामिल होगें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों राम मंदिर निर्माण के लिए गर्भगृह पर पहली शिला ही नही रखा जाएगी बल्कि राम जन्मभूमि परिसर से सटे रामकोट में बन रहें दक्षिण भारतीय शैली में तैयार किये गया ऐतिहासिक श्री रामलला सदन देवस्थानम मंदिर में भगवान श्री राम माता सीता व तीनों भाइयों के मूर्ति की भी प्राणप्रतिष्ठा करेंगे।
श्रीराम लला देवस्थान सेवा ट्रस्ट रामकोट द्धारा 5 दिवसीय आयोजित भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में देश के कोने कोने से संत धर्माचार्य आ रहे है। यह महोत्सव अयोध्या के लिए बड़ा ही ऐतिहासिक होने जा रहा है। दक्षिण परम्परा से वैदिक आचार्यों द्धारा विधिवत पूजन के साथ प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव होगा। 31 मई को कार्यक्रम का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ होगा। कार्यक्रम में 1 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों भगवान के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। इसका समापन 4 जून को विशाल भंडारे के साथ होगा।
अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण कार्य किया जा रहा है। मंदिर के फर्श को बनाये जाने के साथ मंदिर निर्माण का भी कार्य शुरू किया जा रहा है। तो वहीं राम मंदिर के साथ उत्तर और दक्षिण भारत के सांस्कृतिक जुड़ाव भी परिपुष्ट हो रही है। रामजन्मभूमि के कुछ ही फासले पर श्रीराम लला देवस्थानम् मंदिर द्रविड़ शैली में निर्माण किया गया है। राम मंदिर न केवल भारत बल्कि समूची दुनिया को जोडऩे में सेतु का काम भी कर रहा है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यह स्थान प्राचीन और ऐतिहासिक है श्वेता युग में भगवान श्री राम और उनके भाइयों के जन्म होने के बाद इसी स्थान पर उनका नामकरण संस्कार संपन्न कराया गया था इसलिए आज भी इस स्थान को देवस्थान के नाम से जाना जाता है। राममंदिर संग परिपुष्ट हो रहा उत्तर-दक्षिण का जुड़ाव अयोध्या विविध संस्कृतियों का संगम भी बन रही है। अमूमन, उत्तर भारत के मंदिर नागर शैली पर बनते हैं। लेकिन, रामजन्मभूमि परिसर से कुछ फासले पर दक्षिण भारत के प्रतिनिधि मंंदिर निर्माण कला द्रविड़ शैली में श्रीरामलला देवस्थानम् मंदिर बनाया गया है। कार्यक्रम में संयोजक श्रीराम लला देवस्थान सेवा ट्रस्ट रामकोट के अध्यक्ष जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी डा राघवाचार्य जी महाराज ने बताया कि श्री रामलला देवस्थान मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जायेगा। इस महोत्सव में पूरे देश से साधु संत शामिल होगे। मंदिर से जुड़े शिष्य परिकर भी बड़ी संख्या में आ रहे है। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में पूजा पद्धति पूरी तरह से दक्षिण के विशिष्ट आचार्यों द्धारा होगा।देवस्थानम् के अध्यक्ष जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी डा राघवाचार्य कहते हैं, यह मंदिर उत्तर और दक्षिण भारत को जोडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। क्योंकि, उत्तर और दक्षिण का सांस्कृतिक संबंध आत्मा और परमात्मा की तरह अविछिन्न है। उत्तर में यदि भगवान राम का जन्म हुआ तो दक्षिण में भक्ति का। इस तरह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।