कहा,आचार-विचार के समन्वय से आते हैं राम मंदिर जैसे दिव्य परिणाम


रामहर्षण कुंज के महंत अयोध्या दास ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया
अयोध्या। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को अम्माजी मंदिर में आदिगुरु रामानुजाचार्य महाराज की प्रतिमा के अनावरण के बाद मंत्रार्थ मंडपम, वासुदेवघाट व चारुशिला मंदिर जानकी घाट में आयोजित श्रीरामनाम मंत्रराज जप अनुष्ठान महायज्ञ में भी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री के निर्धारित कार्यक्रम में विलंब के बावजूद उन्होंने संतों को निराश नहीं किया और अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर विदा हुए। इससे पहले मंत्रार्थ मंडपम में उन्होंने संतों का आह्वान किया कि अगले डेढ़- दो वर्षों में हर मंदिर में अखंड रामायण पाठ, संकीर्तन व कथा के आयोजन होने चाहिए जिससे विश्व ही नहीं अखिल ब्रह्मांड तक अयोध्या का संदेश जाए।
गोरक्ष पीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हम सभी धन्य हैं कि भारत की धरती पर जन्म लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। महाभारत जैसा ग्रंथ भी इस बात का साक्षी है। वेदव्यास ने जब इसकी रचना की थी तो आज के कथित विकसित देश व सभ्यताएं अंधकार में थीं।
सीएम ने कहा कि संतों ने साधना से जो भी सिद्धियां प्राप्त कीं, वह लोककल्याण-परमार्थ के लिए थीं, स्वार्थ के लिए नहीं। इस पीठ की परंपरा भी ऐसी ही रही है। साधना से जो भी अर्जित किया, वह प्रभु के श्रीचरणों के समर्पित कर लोक कल्याण किया।
सीएम ने कहा कि यह भगवान राम के मंत्रों की साधना का असर है। श्रीराम हर्षण कुंज पीठ के पूज्य महंत जी ने 13 कोटि श्रीराम मंत्र का जप करके अखंड साधना से जो दिव्य अमृत सिद्धि के रूप में प्राप्त की थी, वह लोककल्याण का माध्यम बना। कोई सोचता था कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो पाएगा। हर कोई कहता था कि अब कुछ नहीं हो सकता, लेकिन राम मंत्र के जप का कितना प्रभाव है, यह पूज्य संतों ने साबित कर दिया। पूज्य संत राम मंत्रों का जप करते थे और विश्व हिंदू परिषद व रामसेवक (कारसेवक) पुरुषार्थ करते थे, जब आचार व विचार में समन्वय होता है तो दिव्य परिणाम सामने आते है। जैसे आज भव्य राम मंदिर के निर्माण के रूप में आ रहा है। इस मौके पर रामहर्षण कुंज के महंत अयोध्या दास ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में कैसरगंज के लोकप्रिय सांसद बृजभूषण शरण सिंह भी शामिल हुए।इस मौके पर रामबल्लाभाकुंज के अधिकारी राजकुमार दास,रामहर्षण कुंज मंदिर के व्यवस्थापक समाजसेवी संत राधव दास मौजूद रहें।