जगद्गुरू रामानुजाचार्य डा राघवाचार्य ने की मांग, स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन पर हो राष्ट्रीय शोक, संतो ने एकसुर से भरी हुंकार



अयोध्या। वैष्णो नगरी अयोध्या के श्री जानकी घाट बड़ा स्थान में जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी को संतो ने अर्पित की श्रद्धांजलि। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता करते हुए दशरथ राज महल के बिंदुगाद्याचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य महाराज ने कहा कि उनका सारा जीवन सनातन धर्म के लिए समर्पित रहा। ऐसे अलौकिक अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी लोग मानव हृदय में चिरकाल तक जीवित रहते हैं।रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मेजय शरण ने कहा कि उन्होंने शंकराचार्य की अक्षुण्य परंपरा का निर्वाहन किया। हमारे ऊपर उनका विशेष वरदहस्त रहा। उनके व्यक्तित्व-कृतित्व की जितनी चर्चा की की जाए। वह कम ही हाेगा। स्वतंत्रता व राम जन्मभूमि आंदोलन से भी जुड़े रहे। इसके लिए कई बार जेल भी गए।
रामलला सदन पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी डा राघवाचार्य ने भाव पुष्पांजलि सभा में कहा कि उनका स्वरूप दिव्य था। महाराज श्री किसी राजनैतिक दल के सिद्धांत से बंधे नही थे। उनका व्यक्तित्व बड़ा ही अद्भुत था। उन्होंने सनातन के लिए काम किया। जब-जब सनातन धर्म पर किसी ने कुठाराघात करने की काेशिश की। ताे उन्होंने उसका विराेध किया। भारत के इतने बड़े हिन्दुत्व के प्रवर्तक निधन पर भारत सरकार की तरफ से कोई शाेक नही व्यक्त किया गया। हनुमानगढ़ी से जुडे अखाड़े के पूर्व प्रधानमंत्री महंत माधवदास हनुमानगढ़ी ने कहा कि वह अपने दृढ़ संकल्पाें पर अडिग रहते थे। महंत माधव दास जी ने कहा कि जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी अपने नाम के अनुरुप थे।
हनुमानगढ़ी के शीर्ष श्रीमहंत धर्म सम्राट ज्ञान दास जी महाराज के उत्तराधिकारी संकटमाेचन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय दास ने कहा कि गुरूदेव के माध्यम से मुझे पूज्यपाद जी का आशीर्वाद मिला है। भगवान उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें। बड़ा भक्तमाल महंत स्वामी अवधेश कुमार दास ने कहा कि ऐसा बेबाक बाेलने वाला व्यक्ति देश से समाप्त हाे गया। बेबाक बाेलने में कभी संकाेच नही किया। ऐसे महापुरुष काे हम नमन करते हैं। उन्हें दुबारा भारत भूमि पर भेंजे। डॉ. सुनीता शास्त्री ने कहा कि सनातन धर्म की ध्वजा काे चाराें ओर शिखर पर पहुंचाया। वह दाे पीठाें के शंकराचार्य रहे। सनातन धर्म काे छाेड़कर किसी अन्य सम्प्रदाय से समझाैता नही किया। वह सन्यासी थे। लेकिन उनकी वैष्णव परंपरा के प्रति अगाध श्रद्धा थी। अयोध्या आते थे ताे महंत नृत्यगोपाल दास जी से बड़ी प्रेम से मिलते थे। उन्होंने काेई समझाैता नही किया। अयाेध्या काे अपार स्नेह दिया। अयोध्या, वैष्णव और शैव व शाक्त संप्रदाय काे राेम-राेम में बसा रखा था।
महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने कहा कि सनातन धर्म ने अपना एक क्रांतिकारी व्याख्याता खाे दिया।धुरंधर शास्त्र के महा पंडित थे। भाव सुमांजलि अर्पित किया। महाविरक्त आश्रम महंत माधवदास रामायणी भावांजलि सभा है। 1990 से उनसे हमारा संबंध था। हर जगह उनकी कृपा रही। चाणक्य परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष कृपानिधान तिवारी वह साधारण व्यक्ति नही थे। वह अवतारी पुरुष रहे। हम लोग उनके ऋणी हैं। ऐसे महापुरुष का पुनः अवतार हाे। उनके जाने से बड़ा दुख है। कार्यक्रम का संयोजन रसिक पीठाधीश्वर जन्मेजय शरण महाराज ने की और संचालन डॉ रामानंद दास ने किया। इस अवसर पर महंत सत्यदेव दास, वरिष्ठ पुजारी हेमंत दास, आनंद दास, देवेश दास, पूर्व प्राचार्य कृष्ण कुमार मिश्र,बड़ा भक्त माल के महंत अवधेश दास, मंगल भवन पीठाधीश्वर महंत कृपालु रामभूषण दास,महंत बालयोगी रामदास,नागा राम लखन दास सहित दर्जनों संतो महंतों ने भाव रूपी श्रद्धांजलि अर्पित की। अंजलि सभा में सैकड़ों संत महंत उपस्थित होकर जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।