दिव्य मां सरयू आरती सेवा संस्थान के तत्वावधान में धूमधाम से मनाया गया सरयू जी का छठोत्सव, फूलबग्लें की सजी झांकी, 1100 बत्ती की आरती के साथ हुआ भंडारा
अयोध्या। अयोध्या के उत्तर दिशा में बहने वाली सरयू इस नगरी की सबसे पुरानी व प्रामाणिक पहचान हैं। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को इनका जन्म हुआ 14 जून रामनगरी में पूरे शिद्दत से सरयू मां की दिव्य भव्य जयंती मनाई गई। जन्म के छठवें दिन मैया का छठोत्सव भी बड़े श्रद्धा भाव के साथ मनाया गया।
दिव्य मां सरयू आरती सेवा संस्थान के तत्वावधान में नित्य मां सरयू की आरती पुजा होती है। जयंती के विशेष अवसर पर संस्थान द्धारा मां सरयू का फूलबग्लें की झांकी सजाई जाती है वो छठोत्सव पर भी सजती है। इसी के भव्य दीप दान के साथ 1100 बत्ती की महाआरती होती है इसके बाद वृहद भंडारा होता है। यह कार्यक्रम जयंती व छठोत्सव दोनो पर होता है। रविवार को देर शाम करतलिया बाबा आश्रम के पीठाधीश्वर महंत बालयोगी रामदास महाराज के संयोजन में संत तुलसी दास घाट जो नित्य मां सरयू आरती स्थल है उसको फूलों से सजाया गया इसके बाद सरयू मैया की भव्य फूलबग्लें की झांकी सजाई गई। हजारों दीपों का दीपदान कार्यक्रम हुआ। इसके पश्चात 1100 बत्ती की महाआरती के साथ वृहद भंडारा किया गया। पूरा घाट भक्तों से खचाखच भरा रहा।
करतलिया बाबा आश्रम के पीठाधीश्वर महंत बालयोगी रामदास महाराज कहते है कि मां सरय को यह गौरव प्राप्त हैं कि इन्होंने भगवान श्रीराम को अपनी गोद में खिलाया है। प्रयागराज सहित अनेक तीर्थ सरयू में स्नान कर पाप मुक्त होते हैं। ये कलियुग के समस्त पापों का नाश कर देती है। इसी कामना से हर साल करोड़ों भक्त अयोध्या जी की यात्रा आरंभ करने से पहले सरयू का दर्शन, पूजन, स्पर्श, स्नान व इसके जल को पीकर अपनी यात्रा आरंभ करते हैं। बालयोगी जी कहते है कि सरयू तो समस्त तीर्थों को धवलता प्रदान करती हैं।सारे तीर्थ सरयू स्नान कर कृतार्थ होते हैं।शास्त्रों में सरयू को ब्रह्म का जल रूप माना गया है।मानो सरयू के रूप में द्रवीभूत हो ब्रह्म ही प्रवाहित हो रहा है।सरयू नदी में स्नान ईश्वर से एकीकार होने जैसा है,सरयू का स्पर्श भगवान सुख का अनुभव देता है तथा वाल्मीकि रामायण में सरयू जल को गन्ने के रस की तरह मीठा कहा गया है तो सरयू जल का पान अर्थात पीना भगवान के गुणों को धारण करने की तरह है।