सुखद अनुभवों की अंतहीन खोज का नाम है खुशी: राघवचरणानुरागी

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April 6, 2022

जानकी महल ट्रस्ट में समाजसेवी हरिओम तिवारी सुना रहे हैं रामकथा का प्रवचन

अयोध्या। मानवता जब-जब भी दानवता के द्वारा प्रताड़ित की जाती है, तब ईश्वर मानवता तथा विश्व के कल्याण हेतु धरा पर जन्म लेते हैं। मानवता ही राम हैं, और दानवता ही रावण। अर्थात जब हमारे अंदर करुणा, प्रेम, दया, समानता का भाव उत्पन्न होता है, तब हम राम-नामी सुमार्ग पर चलते हैं, परंतु जब हम सतमार्ग को छोड़कर ईर्ष्या, द्वेष, जलन भावना आदि में पड़ जाते हैं तो हमारे अंदर रावण रूपी अहंकार का जन्म होता है। यह बातें जिले राघवचरणानुरागी सेवा दल के राष्ट्रीय संरक्षक तथा समाजसेवी हरिओम तिवारी ने अयोध्या स्थित जानकी महल में चल रही श्री राम कथा के दौरान कथा व्यास के रूप में कथा सुनने आये हुये भक्तों को सुनाई। हरिओम ने कहा कि यदि खुशी की कोई  सार्थक परिभाषा है, तो वह है वास्तव में सुखद अनुभवों की खोज करना। अर्थात सुखद अनुभवों की अंतहीन खोज का नाम ही खुशी है। ज्ञात हो कि कथा में युवा संवाद की ओर विशेष रूप से बल दिया गया। समाजसेवी ने आये हुये श्रद्धालुओं को सनातन धर्म की विशेषताएँ-लाभ व उसके प्रचार-प्रसार के विभिन्न माध्यम बताये।

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