आपको लगेगा हम कोई कल्पना कर रहे रहे पर यकीन मानिए हर वो शख्स मेरी बात से सहमत होगा जिसने साकेत में युवा नेता विशाल मिश्रा का छात्र राजनीति का दौर देखा होगा। एक दुबली पतली काया का नौजवान जो छात्रहितों के लिए शिक्षक ही नही सीधे जिलाधिकारी, एसएसपी से भिड़ जाता था और तार्किक ढंग से अपनी बात मनवा भी लेता था। जिसका मै ही नही साकेत महाविद्यालय की आबोहवा खुद ब खुद बोलती है। हैसियत क्या थी उस छात्रनेता की पदाधिकारी भी नही था वो आम इंसान गरीब घर मे पला बढ़ा पर पीछे हुजूम किसी खास से कम नही ….
हा वो कार्यकाल जिसकी बात मैं कर रहा जब छात्रनेता के तौर पर पुलिस प्रशासन हो या रेलवे की जीआरपी (तब बड़े पैमाने पर छात्र ट्रेन से आते थे) या फिर महाविद्यालय प्रशासन रहा हो या फिर विश्विद्यालय प्रशासन या फिर कोई बड़े से बड़ा नाम गलत किया तो भुगतना तय था झुकना तय था
मजाल है कोई छात्रहित से खिलवाड़ कर दे और अगर किया तो सबकी निगाहें जिस ओर देखती थी वो थे विशाल भैया।
भैया का विगुल बजा लड़ाई ठन गयी तो फिर जो नजारा होता था जो लिखूंगा तो आज के छात्रों को फिल्मी लगेगा इसलिए छोड़ रहा हूं उसे वही समझ सकता जो गवाह रहा होगा उस दौर का हा इतना बता देता हूं कि भैया लोकतांत्रिक ढंग भी अपनाते थे साथ मे ठोंकतांत्रिक भी। हा पर एक बात का गुमान तब भी था आज भी है कि विशाल भैया गलत करते नही गलत सहते भी नही।
लंबा अरसा बीत गया भैया के उस तेवर को वही समझ सकता जिसने देखा होगा आज जब मैंने अयोध्या विधानसभा से दावेदारी का उनकी होर्डिंग्स देखी तो बड़ा सुकून मिला कि चलो अब अगर इन्हें मौका मिला तो अयोध्यावासियों को एक सच्चे हमदर्द , संवेदनशील, सच्चा जनप्रतिनिधि क्या होता ये जरूर देखने को मिलेगा अगर ये विधायक हुए तो पक्का मानिए आप भी इनके दीवाने न हो गए तो आप का जूता मेरा सर।
और हाँ दावा ये कि नाक में दम उनके हो जाएगा जो आमजनमानस के हित से खिलवाड़ करेगा यकीन न हो मेरी बात पर तो एक मौका देकर देखिए आप सबको यकीन हो जाएगा।