दशरथ महल बड़ा स्थान के पूर्वाचार्य विश्वनाथ प्रसादाचार्य की 24वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके व्यक्तित्व-कृतित्व के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की गई
अयोध्या। दशरथ महल बड़ा स्थान के पूर्वाचार्य विश्वनाथ प्रसादाचार्य की 24वीं पुण्यतिथि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के बीच मनाई गई। मंदिर के वर्तमान पीठाधिपति बिंदुगाद्याचार्य स्वामी देवेंद्रप्रसादाचार्य की अध्यक्षता में विश्वनाथ प्रसादाचार्य की प्रतिमा का पूजन-अर्चन किया गया। श्रद्घांजलि समारोह में संत-धर्माचार्यों ने विश्वनाथ प्रसादाचार्य को नमन करते हुए उन्हें बिंदु संप्रदाय का गौरव बताया। पुण्यतिथि पर श्रद्धापूर्वक नमन किया गया। दशथमहल के वर्तमान महंत बिंदुगाद्याचार्य स्वामी देवेंद्रप्रसादाचार्य के संयोजन में पूर्वाह्न पूर्वाचार्य को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके व्यक्तित्व-कृतित्व के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की गई। देवेंद्रप्रसादाचार्य ने अपने गुरु एवं पूर्वाचार्य को याद करते हुए कहा, उनकी सरलता-साफगोई आज भी प्रेरित करती है और उनसे मिला वात्सल्य अविस्मरणीय है। इस दौरान साकेतवासी आचार्य को निकट से जानने वाले बड़ी संख्या में संत-महंत मौजूद रहे और उन्होंने अनेक संस्मरण सुनाकर महंत विश्वनाथप्रसादाचार्य के व्यक्तित्व में निहित उदारता और सच्चाई बयां की। महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य ने कहा कि सद्गुरुदेव द्वारा स्थापित परंपराओं का सम्यक निवर्हन कर मंदिर में सतत धर्म ध्वजा फहराती रहे इसके लिए हम प्रतिबद्घ रहते हैं। हनुमानगढ़ी के महंत संकट मोचन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजयदास महाराज ने कहा कि वे बिंदु संप्रदाय के गौरव थे। संत समाज सदैव उनसे प्रेरणा लेता रहेगा। महंत मुरली दास महाराज ने कहा कि उनकी स्मृति सदैव धर्म के मार्ग पर अग्रसर रहने के लिए प्रेरित करती है। महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य के कृपापात्र शिष्य मंगल भवन व सुंदर सदन पीठाधीश्वर महंत कृपालु रामभूषण दास महाराज ने श्रद्घांजलि में पहुंचे संतों का स्वागत सम्मान किया।श्रद्धांजलि समारोह का दूसरा चरण भंडारा के नाम रहा। इस मौके पर महंत रामजीदास, बालयोगी महंत रामदास, महंत राम बरन दास, नागा रामलखन दास, पुजारी हेमंत दास सहित बड़ी संख्या में संत साधक मौजूद रहे।
