सियाराम किला मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का उल्लास चरम पर

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December 10, 2022

जिसकी साधना में निरंतरता होगी, उसी की उपासना भी सफल होगी: प्रभंजनानन्द शरण

अयोध्या। भगवान की कोई आकृति नहीं होती है। भक्त जिस भाव से प्रभु में अपनी आस्था रखता है भगवान उसी स्वरूप में भक्त के समक्ष प्रकट होते हैं। यह बात शुक्रवार को रामनगरी के सिद्धपीठ श्री सियारामकिला झुनकी घाट मंदिर में श्री महंत करुणानिधान शरण महाराज के सान्निध्य में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में प्रख्यात कथावाचक प्रेममूर्ति स्वामी प्रभंजनानन्द शरण महाराज ने कही। श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस में प्रभंजनानन्द जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति को कर्म में निरंतरता बनाकर रखना चाहिए निरंतरता होने से ही सफलता प्राप्त होती है। अभ्यास के द्वारा मुढ़ से मुढ़ व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है जिसकी साधना में निरंतरता होती है उसी की उपासना भी सफल होती है। उन्होंने कहा कि कभी भी स्वयं की तुलना दूसरों से न करें अपने भाग्य की तुलना दूसरों से कर व्यक्ति व्यर्थ ही तनाव लेता है। परमात्मा भाग्य का चित्र अवश्य बनाता है मगर उसमें कर्म रूपी रंग तो व्यक्ति स्वयं भरता है। स्वामीजी ने कहा कि हर परिस्थिति में व्यक्ति को प्रसन्न रहना चाहिए कर्म में निरंतरता बनाकर के  रखना चाहिए और यह सूत्र अपने जीवन में उतार ले ईश्वर कृपा से जो प्राप्त है वह पर्याप्त है। कथा से पूर्व व्यासपीठ का पूजन आयोजक विकास कुमार हथदह पटना ने किया। यह कथा महोत्सव स्व मुरारी सिंह जी की पावन स्मृति में हो रहा है। इस मौके पर सियारामकिला झुनकी घाट के संत साधक व शिष्य परिकर मौजूद रहें।

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