श्रीलक्ष्मी वेंकटेश भगवान का वैदिक मंत्रोच्चार संग पंचामृत, फलों का रस व सुगंधित औषधियों से किया गया अभिषेक पूजन
अयोध्या। रामनगरी की प्रतिष्ठित पीठ श्रीउत्तर तोताद्रिमठ विभीषणकुंड समेत अन्य मठ-मंदिरों में श्रीरामजन्मोत्सव का उल्लास दूसरे दिन भी छाया रहा। महोत्सव को उत्तर तोताद्रिमठ पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी अनंताचार्य महाराज ने अपना संयोजकत्व प्रदान किया। रामनवमी पर मठ के गर्भगृह में विराजमान श्रीलक्ष्मी वेंकटेश भगवान का वैदिक मंत्रोच्चार संग पंचामृत, फलों का रस व सुगंधित औषधियों से अभिषेक पूजन किया गया। तदुपरांत भगवान को नवीन वस्त्र धारण कराया और दिव्य श्रृंगार किया। उसके बाद अभिजित मुहूर्त में प्रभु श्रीराम का प्राकट्य हुआ। पूरा मंदिर प्रांगण जनम लिए रघुरैया अवध में बाजे बधइया… से गूंज उठा। साधु-संत एवं भक्तगण खुशी से आहलादित होकर झूमने लगे। भगवान को विविध पकवानों का भोग लगाकर भव्य आरती उतारी गई। उसके बाद साधु- संत व भक्तगणों को प्रसाद वितरण हुआ। इस अवसर पर जगदुरू स्वामी अनंताचार्य महाराज ने बताया कि अयोध्याधाम में रामनवमी का बड़ा ही महत्व है। क्योंकि इस दिन प्रभु श्रीराम ने श्रीअवध धाम में अवतार लिया। जेहि दिन रामजनम श्रुति गावहिं । तीरथ सकल जहां चली आवहिं ।। अर्थात जिस दिन भगवान श्रीराम का जन्म होता है। उस दिन सभी तीर्थ अयोध्या चले आते हैं। पतित पावनी सरयू सलिला में स्नान करते हैं और श्रीरामजन्मोत्सव में सम्मिलित होते हैं। खुद तीर्थों के तीर्थ प्रयागराज जो सभी के पाप धुलते हैं। वह अपना पाप धुलने के लिए स्वयं रामनवमी के दिन अयोध्या आते हैं। पावन सरयू सलिला में स्नान करते हैं और भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव में शामिल होकर जीवन धन्य बनाते हैं। अयोध्या संतों की देवभूमि व नगरी है। जहां संत विराजते हैं एवं रामनाम का गुणगान गाते हैं। इस मौके पर बालदेशिक सोपान ट्रस्ट मैनेजर केशव नारायण दूबे समेत अन्य उपस्थित रहे।