श्रीमद्भागवत कथा का चतुर्थ दिवस
अयोध्या। बेनीगंज फेस तीन श्री अयोध्या जी में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में आचार्य धरणीधर महाराज ने कहा जब मनुष्य दुर्भाग्य को सुधारेगा नहीं उसका कल्याण कैसे होगा। हम सभी को भगवान के उत्सव को ही अपना उत्सव मानना चाहिए। क्योंकि वही सत्स्वत अपना सुख है, वही सही मायने में उत्सव है। जो कभी पूर्ण नहीं होता जो कभी पूर्ण न हो उसी उत्सव में सम्मिलित होना चाहिए। जो नित्य निरन्तर चलता रहे कभी रुकता नहीं तो उस उत्सव में सम्मिलित होने से ही हमारा कल्याण होगा। साधना से ही साधन संपन्ना होते हैं। आचार्य धरणीधर जी ने कहा सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है।
सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। जब हमारी वृत्ति परमात्मा में लगेगी तो संसार गायब हो जाएगा। प्रश्न यह है कि परमात्मा संसार में घुले-मिले हैं तो संसार का नाश होने पर भी परमात्मा का नाश क्यों नहीं होता। और अलग भी हैं। आकाश में बादल रहता है। और बादल के अंदर भी आकाश तत्व है। बादल के गायब होने पर भी आकाश गायब नहीं होता है। इस मौके पर मुख्य यजमान हरीराम पाण्डेय, हरी प्रसाद पाण्डेय, अयोध्या प्रसाद पाण्डेय, आचार्य सचिदानंद मिश्र,डा.दिलीप सिंह, शिवकुमार सिंह,सौरभ मौर्य, पतिराम वर्मा, संजीव सिंह,सत्य नारायण तिवारी मौजूद थे।