हनुमानगढ़ी के शीर्ष श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज ने भगवान की आरती उतारी
श्रीमद् जगद्गुरु निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर स्वभु द्वाराचार्य श्री राधामोहन शरण देवाचार्य जी महाराज का हुआ कंठी चदर,जुटें संत धर्माचार्य
राधा मोहन कुंज मंदिर में मना श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, कथा के चतुर्थ दिवस पर व्यासपीठ से गजेन्द्र मोछ स्तोत्र व कृष्ण जन्म की सुनाई कथा

अयोध्या। श्री सर्वेश्वर गीता मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में नवनिर्मित भव्य श्री राधा मोहन कुंज में भगवान राधा मोहन की मूर्ति का भव्य प्राण प्रतिष्ठा किया गया। वैदिक रीति रिवाज के अनुसार विधिवत पूजन अर्चन के साथ भगवान को प्रतिष्ठित किया गया। इस मौके पर धर्म सम्राट हनुमानगढ़ी के शीर्ष श्रीमहंत ज्ञान दास महाराज राधा मोहन मंदिर पहुंचे जहां पर उन्होंने भगवान राधा मोहन की आरती उतार पूजन किया। इसके बाद श्रीमद् जगद्गुरु निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर स्वभु द्वाराचार्य श्री राधामोहन शरण देवाचार्य जी महाराज के शिष्य महंत सनत कुमार शरण ने उनका अभिनंदन किया। महंत ज्ञान दास महाराज के साथ निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्री महंत मुरली दास पूर्व प्रधानमंत्री माधव दास व संकट मोचन सेना के अध्यक्ष महंत संजय दास के साथ सैकड़ों नागा साधु मौजूद रहे। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में विशाल भंडारे का आयोजन किया जिसमें आये हुए अतिथियों का स्वागत हनुमानगढ़ी के महंत गौरीशंकर दास, तुलसी दास छावनी के महंत जनार्दन दास, वैदेही भवन के महंत रामजीशरण व राम हर्षण कुंज के संत राघव दास ने किया। महोत्सव में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें महंत डा रामानंद दास, रसिक पीठाधीश्वर महंत जनमेजय शरण, महंत वैदेही बल्लभ शरण,महंत अजुर्न दास, महंत नंदरामदास, महंत रामकुमार दास, वरिष्ठ पुजारी हेमंत दास सहित बड़ी संख्या में संत साधक मौजूद रहें।


राधा मोहन कुंज में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस व्यासपीठ से श्रीमद् जगद्गुरु निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर स्वभु द्वाराचार्य श्री राधामोहन शरण देवाचार्य जी महाराज ने भगवान कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई। उन्होंने गजेन्द्र मोछ की कथा को विस्तार से समझाते हुए कहा कि गजेन्द्र मोछ स्तोत्र के पहले श्लोक से हमे यह शिक्षा मिलती है कि प्रभु का स्मरण, भक्ती कभी व्यर्थ नहीं जाती। क्योंकि गजेन्द्र ने जो प्रार्थना पिछले जन्म में सीखी उसी के कारण उसका कल्याण हुआ। वह भी जब उसका देह अहंकर मिट गया। जो मनुष्य अहंकर रहित हो जाता है उसे भगवत प्राप्ती हो जाती है। व्यासपीठ से जगद्गुरु जी ने वामन अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि जब मानव दान में पूर्णता आ जाती है, तब भगवान स्वयं याचक बन कर आ जाते हैं और चरण कमल से कल्याण करते हैं। द्वारपाल बन कर उसकी रछा करते हैंं। कथा में भक्त पहले दिन से ही आनंद में डूबकर भजनो में झूमते एवं नाचते नजर आ रहे हैं।जैसे ही कथा के दौरान भगवान कृष्ण का जन्म हुआ पूरा मंदिर जयकारों से गूंज गया। जगद्गुरु जी ने कहा कि प्रभू के आते ही माया मोह के बन्धन टूट जाते हैं और संसार रूपी कारागार से मुक्त हो जाता है। भक्ती रूप जमना में आकंठ निमग्न हो जाता है। कथा के दौरान कृष्ण जन्म उत्सव और भजनों पर श्रद्धालु जमकर नाचे। भगवान को माखन मिश्री का भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया। एक दूसरे को कृष्ण जन्म की बधाईयां दीं।