जगद्गुरु जी ने श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस पर बड़े ही धूमधाम के साथ श्री राम जन्म उत्सव व भगवान राम की बाललीलाओं का बड़ा सुंदर प्रसंग सुनाकर उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया


अयोध्या। अयोध्या के नन्दीग्राम भरत कुंड जहां पर भरत जी ने 14 साल भगवान राम के लिए तपस्या करते हुए अयोध्या का देखभाल किया उसी नन्दीग्राम भरत कुंड के श्रीराम जानकी मंदिर में श्री रामकथा महोत्सव का उल्लास अपने चरम पर है। व्यासपीठ से श्री रामकथा की अमृत वर्षा जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी के श्री मुख से हो रहा है। कथा के चतुर्थ दिवस पर बड़े ही धूमधाम के साथ श्री राम जन्म उत्सव व भगवान राम की बाललीलाओं का बड़ा सुंदर वर्णन जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज ने व्यासपीठ से किया। भगवान राम के जन्म का प्रसंग सुनाकर उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। जगद्गुरू जी ने कहा कि श्री राम नवमी का यह पावन पर्व संपूर्ण विश्व के लिए सौभाग्य संवर्धन है इस तिथि को पांच ग्रह सूर्य मंगल वृहस्पति शुक्र और शनि अपनी उच्च राशि में स्थित थे। जब-जब धरती पर आतंक अधर्म पापाचार दुराचार बढ़ता है तब तब प्रभु किसी भक्त की पुकार पर इस धरती पर अवतरित होते हैं। जब जब हो हि धर्म की हानि बाड़ी असुर अधम अभिमानी। भगवान बिल्कुल खड़े हैं आने को पर कोई दशरथ कौशल्या कश्यप अदिति। नंद यशोदा मिल जाए तो प्रभु तुरंत आ जाएंगे। इसलिए सभी संत महापुरुषों ने एक स्वर में कहा है कि अपने दांपत्य जीवन को सुधारें क्योंकि जब तक दांपत्य जीवन दिव्य पवित्र नहीं होगा तब तक दिव्य संतान उत्पन्न नहीं होगा। रामानन्दाचार्य जी ने कहा कि जिनका दांपत्य जीवन दिव्य होता है उन्हीं के घर महापुरुषों का जन्म होता है। जब कोई भक्त याद करता है तब प्रभु अवतार लेते हैं जिसका अंत करना कठिन होता है। ऐसे ही अहंकारी से रावण को मारने के लिए प्रभु ने अवतार लिया। भगवान राम की बाललीलाओं का बखान करते हुए जगद्गुरू रामानन्दाचार्य जी ने कहा कि कागभुशुण्डीजी ने भगवान के जन्म के उपरान्त संकल्प किया कि जब तक भगवान पांच वर्ष के नहीं हो जाएंगे तब तक सब कुछ त्याग, मैं अवघ में ही वास करुंगा तथा राजा दशरथ के महल की मुडेरी पर बैठ भगवान की बाल लीलाओं के दर्शन कर जीवन धन्य करुंगा।कागभुशुण्डि जी ने संकल्प लिया था कि भगवान के हाथ का जो झूठन गिरेगा वही प्रसाद ग्रहण करूंगा। कथा व्यास जी ने कहा कि कागभुशुण्डी जी कोई सामान्य कौवा नहीं थे। उनकी दक्षता का वर्णन करते हुए उन्होने बताया कि भगवान भोलेनाथ जी भी कागभुशुण्डीजी से श्री राम कथा सुनने स्वयं जाया करते थे। आगे की बाल-लीला में भगवान श्रीराम के घर में खेलने और राजा दशरथ के कहने पर माता कौशिल्या द्वारा धूलघूसरित प्रभू को उठाकर दशरथ जी के गोद में डालने का सुंदर चित्रण किया। महोत्सव की अध्यक्षता करते हुए दशरथ राजमहल बड़ा स्थान के पीठाधीश्वर बिंदुगाद्याचार्य स्वामी देवेंद्रप्रसादाचार्य जी व संयोजन बिंदुगाद्याचार्य के उत्ताराधिकारी मंगल भवन पीठाधीश्वर महंत कृपालु रामभूषण दास जी कर रहें है। आज कथा में लक्ष्मणकिला के महंत मैथलीरमण शरण, तुलसीदास जी की छावनी के महंत जनार्दन दास, वैदेही भवन के महंत रामजीशरण, पत्थर मंदिर के महंत मनीष दास सहित बड़ी संख्या में रामनगरी के विशिष्ट संत महंत मौजूद रहे। व्यासपीठ का पूजन नरेश कुमार गर्ग व उनकी धर्मपत्नी कुसुमलता गर्ग ने किया। गौरव दास शास्त्री शिवेंद्र दास शास्त्री सहित सैकड़ों संत महंत एवं राम कथा के रसिक गण उपस्थित रहे।