राष्ट्रीय फलक पर शिरोधार्य हुए थे पूज्य किलाधीश जी महाराज

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February 27, 2023

25 पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर स्मृति पर्व में आचार्य स्वामी श्री सीताराम शरण जी महाराज लक्ष्मणकिलाधीश जी की पुस्तक का हुआ विमोचन

गीता तात्पर्य, श्री वैषणव दर्शन, श्री सीतातत्व मीमांसा का किलाधीश महंत मैथली रमण शरण की अध्यक्षता में हुआ विमोचन

अयोध्या। संतो की सराय कही जाने वाली रामनगरी में अनेक भंजनानंदी संत हुए हैं। उन्हीं संतो में एक थे रसिकोपासना के आचार्य परमपूज्य स्वामी सीताराम शरण जी महाराज। जिनकी 25वीं पुण्यतिथि बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ आचार्य पीठ श्रीलक्ष्मण किला में मनाया जा रहा है। पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर स्मृतिपर्व के रुप में पूज्य किलाधीश जी की रचनाओं से सराबोर पुस्तक का भव्य विमोचन किया गया। 

रसोपासना के आचार्य स्वामी सीताराम शरण जी महाराज ग्राम्यांचल की भक्ति धारा से लेकर विश्वविद्यालयीय विचार और आलोचना तक आपकी वाणी ने अपना जादू बिखेरा। एक प्रसंग के अनुसार दक्षिण के वयोवृद्ध विद्वान ने अयोध्या की पहचान की कहा कि स्वामी सीताराम शरण जी वाली अयोध्या स्वाध्याय प्रवचन की वाचिक परम्परा के साथ ही टीका व्याख्या और पद रचना के साथ ही पूर्वाचार्यों के साहित्य का सम्पादन-प्रकाशन भी स्वामी सीताराम शरण जी महाराज का उल्लेखनीय अवदान रहा। चार दशक तक पीठ का सक्रिय आचार्यत्व निभाकर सन 1997 के वसन्त ऋतु में आचार्य श्री का साकेतवास हो गया।

आचार्य श्री की पुण्यतिथि समारोह मंगलवार को मनाया जाएगा किलाधीश जी का वैभव पूरे फलक पर रहेगा।

कार्यक्रम में जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य,हनुमत निवास के महंत अवधकिशोर शरण, मंगलभवन पीठाधीश्वर महंत कृपालु रामभूषण दास, महंत अर्जुन दास, डा सुनीता शास्त्री, भागवताचार्य तुलसीदास, महंत गिरीश पति त्रिपाठी, डा जनार्दन उपाध्याय, कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह सहित तमाम विशिष्ट विद्धानों ने अपने अपने विचार रखें।

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आचार्य पीठ श्री लक्ष्मणकिला के महंत मैथली रमण शरण जी कहते है पूज्य गुरुदेव द्धारा रचित ग्रन्थ नाम, महिमा, धाम, महिमा हमारी अमूल्य धरोहर है। जिसका स्वाध्याय निरंतर करते रहते है। पुण्यतिथि के अवसर पर नाम,रुप,लीला व धाम सहित तमाम ग्रन्थों का सस्वर पारायण पाठ किया जा गया। मंगलवार पूज्य गुरुदेव का स्मरण पूरे फलक पर रहेगा। 

महंत मैथली रमण शरण ने कहा कि तप, स्वाध्याय और शरणागति की विलक्षण स्थितियों का अनुभव करने वाले पूर्वाचार्यों ने शास्त्रों का मथितार्थ कृपापूर्वक सुलभ कराया है। अपने आश्रितवात्सल्य का मान रखते हुये श्रीकिशोरी जू सबको स्वीकार करके प्रभु के सम्मुख कर देती हैं। वेदोपनिषदादि में व्याप्त श्रीजी के लोकोत्तर वैभव का इस पुस्तक में पूज्यचरण गुरुदेव ने सुन्दर निदर्शन कराया है। मधुरोपासक श्रीवैष्णवों के लिये यह नित्य अनुसन्धेय सामग्री है। रसिक जन इसका आस्वादन करके आनन्दित होंगे ऐसा विश्वास है।

स्मृति पर्व कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए पुस्तक के सम्पादक प्रख्यात साहित्यिक महंत मिथलेश नन्दनी शरण हनुमत निवास कहते है कि पूज्य किलाधीश महाराज का गायन अद्वितीय रहा उनकी कथा

विश्वविद्यालयों से लेकर खेती किसानी करने वालों के लिए रही जो अपने आप में अद्भुत है।

श्रीसम्प्रदाय अपने नाम के अनुरूप ही श्रीतत्त्व को उपास्य और अनुसन्धेय मानता है। कुछ दार्शनिक भेदों और वैचारिक आयामों में श्रीतत्त्व को जीवतत्त्व का प्रतिनिधि भी माना गया है। किन्तु, श्रीरामानन्दीय उपासना पद्धति श्रीजी को परात्पर ब्रह्म के रूप में प्रतिपादित करती है। श्रीरामानन्दीय रसिकोपासना के आचार्यपीठ का गौरव बढ़ाने वाले श्रीलक्ष्मणकिलाधीश पूज्य आचार्य स्वामी सीतारामशरणजी महाराज ने सीतातत्त्व मीमांसा का प्रणयन करते हुए श्रीविदेहराजकिशोरी, श्रीरामवल्लभा भगवती श्रीजानकीजी की परता का विलक्षण निदर्शन कराया है। आये हुए अतिथियों का स्वागत मंदिर के युवा संत सूर्य प्रकाश शरण व महंत छोटू शरण ने किया।

इस मौके पर बड़ी संख्या में डा परेश पाण्डेय, महंत लड्डू दास, रामानन्द दास, डा बाकेमणि त्रिपाठी, अनुज दास, कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह के अयोध्या प्रभारी महेंद्र त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में किला से जुड़े संत साधक मौजूद रहें।

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