राम देश की एकता के प्रतीक हैं: प्रभंजनानन्द शरण

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April 2, 2023

श्री सियारामकिला झुनकी घाट में चल रहे श्रीराम जन्मोत्सव के अवसर पर राम कथा का हुआ समापन, स्वामी प्रभंजनानन्द शरण ने कहा-भारतीय समाज में मर्यादा, आदर्श, विनय, विवेक, लोकतांत्रिक मूल्यों और संयम का नाम राम है

अयोध्या। श्री सियारामकिला झुनकी घाट अयोध्या में राम जन्मोत्सव के पावन अवसर पर चल रहे राम कथा के समापन दिवस पर प्रख्यात कथावाचक स्वामी प्रभंजनानन्द शरण महाराज  ने कहा कि राम तो प्रत्येक प्राणी में रमा हुआ है, राम चेतना और सजीवता का प्रमाण है। भारतीय समाज में मर्यादा, आदर्श, विनय, विवेक, लोकतांत्रिक मूल्यों और संयम का नाम राम है। असीम ताकत अहंकार को जन्म देती है। लेकिन अपार शक्ति के बावजूद राम संयमित हैं।
वे सामाजिक हैं, लोकतांत्रिक हैं. वे मानवीय करुणा जानते हैं। वे मानते हैं- ‘पर हित सरिस धरम नहीं भाई राम देश की एकता के प्रतीक हैं। स्वामीजी जी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम समसामयिक है।भारतीय जनमानस के रोम-रोम में बसे श्रीराम की महिमा अपरंपार है। जीवन की धन्यता भौतिक पदार्थों के संग्रहण में नहीं अपितु सुविचारों एवं सद्गुणों के संचयन में निहित है। जिसके पास जितने श्रेष्ठ एवं पारमार्थिक विचार हैं वह उतना ही सम्पन्न प्राणी है। आज समाज में अशांति कोई पशु या जानवर नहीं फैला रहा, बल्कि अपने स्वरूप से अनभिज्ञ भौतिक पदार्थ की दौड़ में लगा मनुष्य ही फैला रहा है। दूसरों को शांत करने से पहले खुद शांत होना होगा। शांति व आनंद का स्रोत केवल ईश्वर है जो भक्ति द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
मनुष्य के अन्तःकरण में जो गुणों के बीज हैं, वे सत्संग और कुसंग के कारण अंकुरित होते हैं. अगर कुसंग के जल की वर्षा हो जाय तो अन्तःकरण में छिपे हुए दुर्गुण सामने आ जाते हैं. व्यक्ति को कुसंग से बचना चाहिए, इसका तात्पर्य यह है कि अगर वर्षा ही नहीं होगी तो अंकुर भीतर से कैसे फूटेगा ? अतएव यदि हम उन सहयोगियों के, जो हमारे दुर्गुणों को, हमारी दुर्बलताओं को बढ़ा दिया करते हैं, सन्निकट नहीं जावेंगे तो भले ही हमारे जीवन में दुर्गुणों के संस्कार विद्यमान हों, वे उभर नहीं पावेंगे।मानवीय जीवन के सद्गुणों के अंकुरित होने के लिए जिस जल की अपेक्षा है, वह है सत्संग का जल। महोत्सव की अध्यक्षता महंत करुणानिधान शरण महाराज ने किया। इसी के साथ राम जन्मोत्सव का भी समापन हो गया।

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