रामचरित मानस सनातन धर्म का मूल ग्रंथ है व अयोध्या धाम सनातन धर्म का मूल स्थान है: रामेश्वर बापू
कहा, मोबाइल ऊपर जितनी उंगलियां फिरती है इतनी उंगलियां जो माला में फिर जाए तो जीवन धन्य बन जाए
अयाेध्या। भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या धाम में अमृतमयी श्रीरामकथा के प्रारंभ में सुप्रसिद्ध कथाव्यास रामेश्वर बापू हरियाणवी गुजरात ने बताया कि रामचरित मानस सनातन धर्म का मूल ग्रंथ है और अयोध्या धाम सनातन धर्म का मूल स्थान है। सनातन धर्म शाश्वत है उसकाे कोई तोड़ नहीं सकता है। लेकिन अब सभी देशवासियों को जागृत होने की जरूरत है। सनातन जितना बचेगा, उतनी हमारी भारतीय संस्कृति हिंदुत्व और बचेगा। द्वितीय दिवस की कथा में रामेश्वर बापू ने राम नाम की महिमा गाया। राम से राम का नाम बड़ा है बहुत प्यारा है नाम सबको तैरता है और नाम का महिमा गाया जिस नाम से भगवान शिव प्रतिदिन राम नाम का गुण गाते हैं। राम नाम मंत्र नहीं कहा महामंत्र है और महामंत्र में इतनी ताकत है कि निर्जीव को संजीव करते हैं। रामेश्वर बापू ने कहा राम नाम महामंत्र से कई लोग पतित पावन हुए। राम नाम का महामंत्र की महिमा बहुत है। जिसका जिसका निरंतर भगवान शिव नाम स्मरण करते हैं। बाद में रामेश्वर बापू ने कथा को आगे भगवान शिव प्रथम चरित्र का गान किया और शिव के साथ सती का चरित्र गाया था। शिव चरित्र गाते हुए बापू ने बताया कि शिव विश्वास है और सती श्रद्धा है। शिव चरित्र और सती को प्रजापति दक्ष के यज्ञ में जाकर शरीर का त्याग करना पड़ा और दूसरे जन्म में पार्वती के रूप में सती हिमालय के वहां जन्मी। मोबाइल ऊपर जितनी उंगलियां फिरती है। इतनी उंगलियां जो माला में फिर जाए। तो जीवन धन्य बन जाए।जीवन में कभी भी कष्ट आए। तो केवल भगवान का स्मरण करना राम नाम को पुकार करना। विवाद से अहंकार बढ़ता है, संवाद से समाप्त हो जाता है। रामेश्वर बापू राम का नाम महिमावंत है। सभी विधाओं में केवल और केवल हरि नाम ही श्रेष्ठ है। नाम महिमा के गान के साथ बापू ने अपनी वाणी और सत्र को विराम दिया। इससे पहले यजमानगणाें ने व्यासपीठ का पूजन-अर्चन कर दिव्य आरती उतारी। इस कथा गुजरात से करीब 5 सौ भक्त अयोध्या धाम आये है कथा का आनंद ले रहें। यह महोत्सव जानकी घाट स्थित राधामोहन कुंज में हो रहा है।
द्वितीय दिवस की कथा विश्राम पर प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्तजनों ने अमृतमयी श्रीरामकथा का रसपान कर अपना जीवन धन्य बनाया और पुण्य के भागीदार बने।