20 वीं पुण्यतिथि पर कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह व संत धर्माचार्यो ने अर्पित किया श्रद्धा सुमन

28 वर्षाें तक लगातार खड़ेश्वरी व्रत में एक पैर पर खड़े होकर की तपस्या,व्रत पूरा हाेने के बाद इन्हें मिली खड़ेश्वरी की उपाधि
अयोध्या। खड़ेश्वरी बाबा को याद करना संतत्व के एक युग का स्मरण है। वे आराध्य में लीनता की मिसाल थे। रामनगरी के नयाघाट क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध रामवैदेही मन्दिर के पूर्वाचार्य भगवान दास खड़ेश्वरी महाराज को 20 वीं पुण्यतिथि पर शिद्दत के मनाई गई। इस माैके पर नगरी के विशिष्ट संत-महंताें व धर्माचार्याें ने मन्दिर में स्थापित उनकी मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए नमन किया और उनके कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश भी डाला। आज पुण्यतिथि के अवसर पर कैसरगंज के लोकप्रिय सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने ब्रह्मलीन महन्त भगवान दास उर्फ खड़ेश्वरी बाबा को पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किये।
इस अवसर पर आश्रम के वर्तमान महन्त रामप्रकाश दास महाराज ने कहाकि ब्रह्मलीन महन्त भगवान दास उर्फ खड़ेश्वरी बाबा ने बारह वर्ष की अल्प आयु में ही भस्म धारण कर लिया। यही नही 28 वर्षाें तक इन्हाेंने लगातार खड़ेश्वरी व्रत का भी पालन किया। जिसमें वह निरन्तर 28 वर्ष तक एक पैर पर खड़े रहे और तपस्या की। व्रत पूरा हाेने के बाद इन्हें खड़ेश्वरी की उपाधि मिली। जिसके बाद लाेग खड़ेश्वरी बाबा के उपनाम से जानने लगे। श्री दास ने कहाकि पूर्वाचार्य खड़ेश्वरी बाबा ने भारत के लगभग सभी राज्याें का भ्रमण अपने जीवन काल में ही कर लिया था। सन्-2003 में वह इस धराधाम से साकेतधाम के लिए प्रस्थान कर गए।आश्रम से जुड़े प्रख्यात कथावाचक महंत दिलीप दास त्यागी कहते है पूज्य ब्रह्मलीन महन्त भगवान दास उर्फ खड़ेश्वरी बाबा की साधना अद्वितीय थी। खड़ेश्वरी बाबा को याद करना संतत्व के एक युग का स्मरण है। दिलीप दास त्यागी के अनुसार पूज्य महाराज श्री भले ही स्थूलत: हमारे बीच न हों पर उनकी साधना-सिद्धि की तरंगें अभी भी आश्रम में व्याप्त हैं और एक बड़े आध्यात्मिक परिकर को बराबर प्रेरित करती हैं। इस पुण्यतिथि में महंत मुरली दास, महंत रामकुमार दास महंत छविराम दास महंत अवधकिशोर शरण महंत रामलखन शरण, महंत बलराम दास, महंत बालयोगी रामदास,महंत मनीष दास, अयोध्या प्रभारी महेंद्र त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में संत साधक मौजूद रहें।