अयोध्या। अयोध्या सिद्ध और भजनानंदी संतो की गढ़ रही है। इसी नगरी में लगभग पांच दशक पहले मां सरयू तट के किनारे सरयू कुंज मंदिर वशिष्ठ कुंड दुराही कुआं के संस्थापक साकेत वासी सिद्ध संत सियारामशरण सखी बाबा की पुण्यतिथि बड़े ही धूमधाम से मनाई गई। सियारामशरण महाराज सिद्ध संत थे सरयू के तट पर आश्रम बना कर संतो, वृद्धों, असहायों और गौ सेवा निरंतर किया करते थें। उनका कहना था कि मानव जीवन पाना बहुत ही दुर्लभ है और मनुष्य को जब यह जीवन प्राप्त हो जाय तो उसको निरंतर सेवा ही करनी चाहिए सेवा से ही भगवत की प्राप्ति हो सकती है।सरयू कुंज के वर्तमान महंत राममिलन शरण ने बताया कि श्री महाराज जी सेवा के प्रतिमूर्ति थे और पूरे दिन जाड़ा, गर्मी, बरसात निरंतर लोगों की सेवा करते रहते थे। आश्रम में जो भी व्यक्ति आया वह कभी निराश होकर नहीं गय है। कम संसाधनों में सेवा कैसे की जाती है यह उनके जीवन से सीखा जा सकता हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 5 दशक पहले श्री महाराज जी अयोध्या में आये और आश्रम की स्थापना कर सेवा करने लगी तब से आज तक आश्रम में निरंतर सेवा चलती रहती है। श्री महाराज जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा व विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। श्री महाराज जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए अयोध्या के नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास, महंत जयरामदास, महंत गणेशानंद दास, महंत उद्धव शरण,महंत बाल योगी महंत रामदास सहित सैकड़ों संतों महंतों मंदिर परिसर से जुड़े शिष्य परिकर श्री महाराज जी को श्रद्धांजलि अर्पित किए। महंत राम मिलन शरण ने सभी महंतों का स्वागत सत्कार किया है।