कहा, संत-महात्माओं का आगमन सदैव मंगलकारी होता है, संतों से कभी कार्य की हानि नहीं होती, अपितु उनसे कार्य की सिद्धि होती है
रामकृष्ण मंदिर में महामंडलेश्वर गणेशानंद जी के संयोजन में वैदिक आचार्य कर रहे नवाह्न पारायण पाठ
अयोध्या। रामकृष्ण मंदिर में रामजन्मोत्सव का उल्लास अपने चरम पर है।मंदिर में सुबह नवाह्न पारायण पाठ संगीतमय किया जा रहा है जो महामंडलेश्वर गणेशानंद के संयोजन में हो रहा है। तो वही शाम में प्रख्यात कथावाचिका मंदिर की महंत शीतल दीदी जी के श्रीमुख से राम कथा की अमृत वर्षा रही है। चतुर्थ दिन की कथा में शीतल जी ने अहिल्या उद्धार जनकपुर दर्शन, धनुष भंग, और सीता राम विवाह का वर्णन किया। सीता राम विवाह को लेकर पूरे पंडाल को रंग-बिरंगे गुब्बारों और फूलों से सजाया गया था। उन्होंने कहा कि संत-महात्माओं का आगमन सदैव मंगलकारी होता है, संतों से कभी कार्य की हानि नहीं होती, अपितु उनसे कार्य की सिद्धि होती है। उन्होंने कहा कि संतों के चरणों में समस्त तीर्थों का निवास होता है, क्योंकि संत के चरण तीर्थों में घूमते-रहते हैं, वो सभी जगह जाते हैं, इसलिए जब कभी भी संत आएं तो उनके चरणों को धो लेना चाहिए, क्योंकि उनके चरणों में सारे तीर्थों का स्पर्श पहले से ही विद्यमान रहता है। इसीलिए संतों को तीर्थंकर कहा जाता है।