गीता जयंती पर वाल्मीकि भवन में गूंजे भागवत के श्लोक

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December 4, 2022

सैकड़ों वैदिक आचार्यों के साथ हजारों वेदपाठियों ने किया सामूहिक गीता का पाठ

महंत कमलनयन दास, प्रख्यात कथावाचक राधेश्याम शास्त्री व आचार्य आनंद शास्त्री ने आचार्यों, वेदपाठियों का किया स्वागत

अयोध्या। रामनगरी के प्रसिद्ध पीठों में शुमार मणिरामदास जी की छावनी के वाल्मीकि भवन में गीता के श्लोक समवेत स्वर में गूंजे तो पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा। अवसर था गीता जयंती का। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास जी महाराज के अध्यक्षता व उनके उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास जी महाराज के संयोजन में आयोजित गीता जयंती महोत्सव में 2500 सौ से अधिक वैदिक विद्वानों ने गीता पाठ किया।
मणिरामदास जी की छावनी में भव्यता पूर्वक गीता जयंती का महोत्सव मनाया गया। छह दिसंबर 1992 को जब विवादित ढांचा ध्वंस हुआ था, तब भी गीता जयंती थी, जिसके बाद से गीता जयंती को भव्यता पूर्वक मनाने का क्रम शुरू हुआ।
इस आयोजन में दो हजार से अधिक वैदिक विद्वान शामिल रहे। कार्यक्रम में मौजूद विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि 6 दिसंबर 1992 को जब विवादित ढांचा को कारसेवकों ने गिराया था उस दिन भी गीता जयंती ही थी। आज 4 दिसंबर रविवार को बड़े ही धूमधाम के साथ गीता जयंती मनाई गई। गीता जयंती को उत्सव के रूप में मनाते आ रहे हैं। इस बार हजारों की संख्या में विद्वानों ने गीता का पाठ कर सभी भव्य दिव्य राम मंदिर का निर्माण हो।
प्रख्यात कथावाचक राधेश्याम शास्त्री जी ने गीता जयंती महोत्सव पर भक्तों से अपील करते हुए कहा कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए रामायण व गीता का प्रचार-प्रसार जरूरी है। गीता हमें संदेश देती है कि हमें कर्म के प्रति उदासीन नहीं होना चाहिए क्योंकि कर्म के अनुसार ही हमें फल की प्राप्ति होती है। हर मनुष्य को अपने-अपने धर्म के अनुसार कर्म करना चाहिए। गीता के उपदेश में लाइफ मैनेजमेंट के सूत्र भी निहित हैं बसे इन्हें अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। इस दौरान आचार्य राधेश्याम शास्त्री, पंजाबी बाबा सहित अन्य मौजूद रहे।

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