श्रीअवध धाम सप्तपुरियाें में मस्तक है:रामेश्वर बापू
कहा, प्रभु श्रीराम ने पूरे देश-दुनिया काे मानवता का पाठ पढ़ाया और मानवता का संदेश दिया
राधामाेहन कुंज जानकीघाट में दीप प्रज्वलन संग नव दिवसीय श्रीरामकथा का हुआ भव्य शुभारंभ
अयाेध्या। अयोध्याधाम के राधामाेहन कुंज जानकीघाट में रविवार को दीप प्रज्वलन संग नव दिवसीय श्रीरामकथा का भव्य शुभारंभ हुआ। व्यासपीठ पर विराजमान सुप्रसिद्ध कथाव्यास रामेश्वर बापू हरियाणवी गुजरात ने अमृतमयी श्रीरामकथा के प्रथम दिवस भक्तजनों को रसास्वादन कराते हुए कहा कि यह पावन पुनीत श्रीअवध धाम है। जिसे सप्तपुरियाें में मस्तक कहा गया है। यह साताें पुरी में मस्तक के समान है। अवध धाम की बड़ी ही महिमा है। जहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने अवतार लेकर सबका कल्याण किया। प्रभु श्रीराम ने पूरे देश-दुनिया काे मानवता का पाठ पढ़ाया और मानवता का संदेश दिया। भगवान श्रीराम जैसा कोई नही है। आज सारा संसार उनका गुणगान करता है। उन्होंने सबकाे मर्यादित जीवन जीना सिखाया। हम सब परम साैभाग्यशाली है। जाे हम सबकाे अयोध्या धाम जैसी इस पवित्र धरा पर सत्संग लाभ व श्रीरामकथा का दिव्य आनंद प्राप्त हो रहा है। जैसा की शास्त्राें में अवध धाम की महिमा गाई गई है। अयोध्या नाम ही अपने आप में भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश का स्वरूप है। केवल अयोध्या नाम लेने मात्र से ही तीनाें देवताओं के नाम लेने का फल मिल जाता है। साठ हजार वर्षों तक गंगा तट पर रहकर भजन-साधना करने का जाे फल है। वह फल केवल अयोध्यापुरी के दर्शन करने मात्र से ही मिल जाता है। अयाेध्यापुरी की महिमा काे बढ़ाने के लिए भगवान के नेत्रों से नेत्रजा सरयू मैया प्रकट हुई हैं। जिनके बारे में कहा गया है कि- काेटि कल्प काशी बसे, मथुरा कल्प हजार। एक निमिष सरयू बसे, तुले न तुलसीदास। ऐसी मां सरयू, अयोध्या धाम और हमारे प्रभु श्रीराम की महिमा है। अब ताे आनंद ही नही, महा आनंद का अवसर हम सबकाे मिला है। जब श्रीरामजन्मभूमि पर हमारे श्रीरामलला विराजित हुए हैं। भक्ताें के हृदय का वह आनंद, ब्रह्मानंद में परिवर्तित हाे रहा है। नित्य प्रति अनेकानेक भक्त श्रीधाम अवध में पधार रहे और बड़े भाव से श्रीरामलला का दर्शन कर रहे हैं। इससे पहले श्रीरामकथा के यजमानगणाें ने व्यासपीठ का पूजन-अर्चन कर दिव्य आरती उतारी। अंत में प्रथम दिवस की कथा विश्राम पर प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्तजन अमृतमयी श्रीरामकथा का रसपान कर अपना जीवन कृतार्थ कर रहे थे। वहीं इससे पहले सुबह संकटमोचन हनुमान मंदिर से गाजे-बाजे संग भव्य पाेथी एवं कलशयात्रा निकाली गई। जाे रामनगरी के मुख्यमार्गों से हाेते हुए अपने गंतव्य काे वापस लाैटी। जहां वैदिक मंत्राेच्चारण के बीच सभी 51 कलशाें काे विधि-विधान पूर्वक स्थापित किया गया।