श्री राम कथा मानव जीवन का आचार संहिता, व्यवहार संहिता और भव पार संहिता है: प्रभंजनानन्द शरण

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January 18, 2024

भक्ति, श्रद्धा, समर्पण और प्रेम का प्रतीक है सियाराम किला झुनझुनिया बाबा का आश्रम

सियाराम किला के प्रथम आचार्य की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में नवाह पारायण पाठ, विशाल अन्नक्षेत्र के साथ वैदिक आचार्य डाल रहें यज्ञ कुंड में आहुतियां

अयोध्या। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की धराधाम को सन्तो की सराह भी कही जाती है। या हम यूं कह ले कि रामनगरी में अनेक भजनानन्दी सन्त हुये उनमें से एक रहे विभूषित जगदगुरू स्वामी श्री जानकी शरण झुनझुनिया बाबा जो रामनाम के सच्चे साधक के रूप में न सिर्फ अयोध्या अपितु पूरे भारत में रामनाम की अलख जगायी।

झुनझुनिया बाबा का नाम अयोध्या के सिद्ध संतों में शामिल है। बाबा को सीता जी की सखी चंद्रकला का अवतार कहा जाता है। यही वजह थी कि बाबा हमेशा स्त्री रूप में रहते थे और राम धुन में लीन रहते थे। रसिक भाव से श्रीराम नाम का प्रचार कर उसे जनमानस के हृदय में प्रतिष्ठित करने वाले स्वामी जानकी शरण महाराज उर्फ झुनझुनिया बाबा की गिनती अयोध्या के सिद्ध संतों की अग्रणी पंक्ति में की जाती है। महाराजश्री को सीता जी की सहेली चंद्रकला का अवतार माना जाता है। उन्होंने सरयू के तट पर जहां तपस्या की थी। वहां सियाराम किला भव्य मंदिर बना हुआ है। वही इन दिनों अयोध्या जी में भगवान रामलला का भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव हो रहा है जिसको लेकर पूरे देश ही नही पूरे विश्व में रामनाम का डंका बज रहा है। हर कोई रामरस में गोता लगा रहा है। तो वही सियाराम किला झुनकी घाट के प्रथम आचार्य पीठाधीश्वर मिथिला शरण जी महाराज के प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव पौष शुक्ल द्वादशी 22 जनवरी को होगी। कार्यक्रम में व्यासपीठ से रामकथा की अमृत वर्षा मंदिर के अधिकारी प्रख्यात कथावाचक स्वामी प्रभंजनानन्द शरण महाराज कर रहें है। कथा के प्रथम दिवस स्वामीजी ने कहा कि श्री राम कथा मानव जीवन का आचार संहिता व्यवहार संहिता और भव पार संहिता है श्री रामचरितमानस में जो आस्तिकता धार्मिकता व्यवहारिकता प्रभु भक्ति उदात एवं दिव्य भावनाओं और उच्च नैतिक आदर्श का वर्णन मिलता है वह अन्यत्र कहीं अत्यंत ही दुर्लभ है मानव के आदर्श चरित्र का यथार्थ वर्णन अगर कहीं जानना है तो श्री राम कथा को अवश्य सुनें। उन्होंने कहा कि संसार का संयोग अनित्य है और वियोग नित्य है संसार के जिन भौतिक वस्तुओं को हम महत्व देते हैं उन वस्तुओं का एक ही काम है कि वह परमात्मा से हमें दूर रखने का कार्य करती है  ।  संसार स्वयं असत्य है और संसार से हमारा संबंध भी असत्य है  । यह संसार मेहंदी के पत्ते की तरह ऊपर से तो हरा दिखता है पर यह परमात्मा की लाली से परिपूर्ण है। स्वामी प्रभंजनानन्द शरण ने कहा कि सुख के लिए केवल निरंतर प्रयास ही पर्याप्त नहीं है अपितु उचित दिशा में प्रयास हो यह भी आवश्यक है दुख भगवान के द्वारा दिया गया कोई दंड नहीं है यह तो हमारे कर्मों का फल है जीवन में सुखी होने की चाहत तो प्रत्येक व्यक्ति के भीतर है पर उसके प्रयास सदैव विपरीत दिशा में होते हैं यदि आप सच में सुखी होना चाहते हैं तो फिर उन रास्तों का त्याग क्यों नहीं करते जिन रास्तों से दुख आता है आपकी सुख की चाहत तो ठीक है पर रासता ठीक नहीं है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहें सियाराम किला पीठाधीश्वर महंत करुणानिधान शरण जी महाराज ने कहा कि मन में कोई बोझ मत रखिए मस्त रहिए अस्त व्यस्त नहीं रहिए खुश रहिए मुस्कुराते रहिए दूसरों से घृणा करने में अपना समय और ऊर्जा नष्ट ना करें प्रेम एवं आनंद के लिए पहले ही बहुत कम समय है जो समय एवं ऊर्जा हम किसी से घृणा निंदा में लगाते हैं वह प्रेम में लगाइए जीवन स्वर्ग तुल्य हो जाएगा। आज कथा के शुभारंभ में कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह शामिल हुए और संतों का आशीर्वाद लिये।

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