तीनों तापों को हरने वाली है श्रीराम कथा: रामदिनेशाचार्य 

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December 15, 2022

रामानन्दाचार्य जी ने कहा, जिस पर प्रभु की कृपा होती है उन्हें ही यह कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता है

अयोध्या। रामनगरी के श्रीराम जानकी मंदिर भरत तपोस्थली भरतकुंड में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव के छटवें दिन कथाव्यास जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज ने श्रीराम का राज्याभिषेक वनवास और राम केवट संवाद की कथा सुनाई। कहा कि श्रीराम कथा दैहिक दैविक और भौतिक तीनों तापों को हरने वाली है। जिस पर प्रभु की कृपा होती है उन्हें ही यह कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि श्रीराम विवाह के समय पूरी अयोध्या आनंद में डूबी हुई। कुछ दिनों बाद राजा दशरथ ने श्रीराम का राज्याभिषेक करने का निर्णय लिया। उधर देवता चितित है कि यदि श्रीराम राजा बन गए तो देवताओं की रक्षा कौन करेगा। राक्षसों का संहार कौन करेगा। देवता माता सरस्वती के पास जाते हैं। माता सरस्वती मंथरा की मति फेर देती हैं। मंथरा के बहकाने पर कैकेयी श्रीराम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांग लेती हैं । श्री राम कथा की यही विशेषता है कि भरत राज्य पाकर भी उसे स्वीकार नहीं करते हैं। उन्होंने 14 वर्ष तक श्रीराम के खड़ाऊं सिंहासन पर रखकर राज्य चलाया। राम सीता और लक्ष्मण के वनगमन के समय गंगा पार जाने के लिए श्रीराम केवट को बुलाते हैं। केवट शर्त लगाता है कि जब तक आपके चरण नहीं धो लूंगा आपको पार नहीं उतारूंगा। भगवान भक्त केवट की बात मान लेते हैं। कथा के पंचम दिवस में व्यासपीठ से जगद्गुरू जी ने दिव्य व आनंदमयी श्री सीताराम विवाह की रसभरी कथा सुनाई जिसको सुनकर पूरा कथा मंडप भावविभोर हो गई। दशरथ राजमहल बड़ा स्थान के पीठाधीश्वर बिंदुगाद्याचार्य स्वामी देवेंद्रप्रसादाचार्य जी महाराज के पावन अध्यक्षता में यह महोत्सव हो रहा है। कथा में रंग महल के श्रीमहंत रामशरण दास श्रीरामबल्भाकुंज के अधिकारी स्वामी राजकुमार दास जानकी घाट बड़ा स्थान के रसिकपीठाधीश्वर श्रीमहंत जन्मेजय शरण, आचार्य पीठ लक्ष्मणकिला के महंत मैथलीरमण शरण, पौराणिक पीठ हनुमानगढ़ी नाका के श्री महंत रामदास, तुलसी दास जी की छावनी के महंत जनार्दन दास, वैदेही भवन के महंत रामजीशरण सहित बड़ी संख्या में रामनगरी के संत धर्माचार्यो ने शिरकत कर अपने अपने विचारों से श्रीरामकथा में भगवान राम के चरित्र का गुणगान किया। आये हुए संतो का विशेष अभिनन्दन बिंदुगाद्याचार्य के उत्ताराधिकारी महंत रामभूषण दास कृपालु जी ने किया। गौरव शास्त्री व शिवेंद्र शास्त्री सहित सैकड़ों संत महंत एवं राम कथा के रसिक गण उपस्थित रहे।

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