व्यास पीठ से पुतना उद्धार एवं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को जगद्गुरु जी ने श्रवण कराया
जहाँ धर्म न हो, संस्कार न हो, अपनी परम्पराओं का निर्वाहन न हो वहां नस्ल ख़राब हो जाती है: स्वभु द्वाराचार्य

अयोध्या। श्री राधा मोहन कुंज के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का धूमधाम से समापन हुआ। श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम दिवस पर श्रीमद् जगद्गुरु निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर स्वभु द्वाराचार्य श्री राधामोहन शरण देवाचार्य जी महाराज ने पुतना उद्धार एवं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया। श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम दिवस पर महाराज श्री ने श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की सुंदर कथा श्रोताओं को श्रवण कराई। कथा के विश्राम दिवस पर हजारों की संख्या में भक्तों ने महाराज श्री के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया। देवाचार्य जी ने व्यासपीठ से कहा कि कथा आपको सम्पूर्ण भागवत कथा का फल देती है। ये हमारे करोड़ो जन्मो का पुण्य ही है की हमे श्रीमद भागवत कथा सुनने का अवसर प्राप्त हुआ है। क्यूंकि आप बस मानव जीवन को प्राप्त करके ही श्रीमद भगवत कथा का श्रवण कर सकतें है। श्रीमद भगवत कथा का ये ग्रन्थ तो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि जिस जीव के दिल में इच्छा होती है की वो ईश्वर के बारे में जाने वो इस श्रीमद भगवतकथा के माध्यम से ईश्वर के बारे में जान पाता है। जो व्यक्ति सिर्फ माया के पीछे भागता है वो व्यक्ति उस कुंए के मेंढक की तरह है जिसने कभी उस कुए के बाहर की दुनिया देखी ही नहीं। व्यास जी ने कहा कि वो कथा को सिर्फ एक कहानी की तरह सुनता है या फिर जब तक उसको सुनने का मन करता है तब तक कथा पंडाल में रहता है उसके बाद निकल जाता है। लेकिन वेद व्यास जी ने खुद भागवत कथा में लिखा है की अगर सातो दिन तक पूरी निष्ठा और ध्यान से आप श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करते है तो वो आपको मोक्ष की प्राप्ति कराती है। महाराज श्री ने बताया की जिस धरती पर पानी की कमी हो वहां की फसल ख़राब हो जाती है और जहाँ धर्म न हो जहाँ संस्कार न हो, जहां अपनी परम्पराओं का निर्वाहन न हो वहां नस्ल ख़राब हो जाती है। भगवान ने जो हमे ये साँसे दी है वो किसी का बुरा करने के लिए नहीं किसी को बुरा कहने के लिए नहीं, अपनी ज़िन्दगी को यूँ ही व्यर्थ करने के लिए बल्कि ये साँसे भगवान का नामजाप करने और भगवान की भक्ति के लिए दी है। ये सांस बहुत अनमोल है इन्हे आपको कोई उधार नहीं देगा इसलिए इन्हे व्यर्थ ना जाने दे। जगद्गुरू जी ने कहा कि भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती जिस समय आपका जन्म हुआ था उससे पहले आपकी मृत्यु तय है किस जगह आपकी मौत होगी किस कारण से होगी वो सब पहले से तय है। अगर आप चाहो की आप अपनी मौत को टाल लोगे उस पर जीत प्राप्त कर लोगे ऐसा कभी नहीं हो सकता आप अपनी मृत्यु को कभी हरा नहीं सकते क्यूंकि मृत्यु जीवन का सत्य है। इस लिए जीवन में हरीनाम बहुत जरूरी है। इसी के साथ राधा मोहन कुंज में चल रहे महोत्सव का भी समापन हो गया।आये हुए अतिथियों का स्वागत राधामोहन शरण देवाचार्य जी के शिष्य महंत सनत कुमार शरण ने किया।कथा विश्राम दिवस में जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य,तुलसीदास जी की छावनी के महंत जनार्दन दास, महंत रामकरन दास, वैदेही भवन के महंत रामजीशरण, डाड़िया मंदिर के महंत महामंडलेश्वर गिरीश दास, राम हर्षण कुंज से जुड़े संत राघव दास, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि रोहित सिंह सहित बड़ी संख्या में संत साधक व भक्त मौजूद रहें।
