व्यास पीठ से पुतना उद्धार एवं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को वशिष्ठ पीठाधीश्वर जी ने श्रवण कराया
जहाँ धर्म न हो, संस्कार न हो, अपनी परम्पराओं का निर्वाहन न हो वहां नस्ल ख़राब हो जाती है: ब्रह्मर्षि राम विलास वेदांती महाराज
अयोध्या। रामनगरी के पंचकोसी परिक्रमा मार्ग स्थित हिंदू धाम में चल रहें श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव धूमधाम से समापन हुआ। श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम दिवस पर वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मर्षि राम विलास वेदांती महाराज ने पुतना उद्धार एवं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया। विश्राम दिवस पर महाराज श्री ने श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की सुंदर कथा श्रोताओं को श्रवण कराई।
वेदांती जी ने व्यासपीठ से कहा कि कथा आपको सम्पूर्ण भागवत कथा का फल देती है। ये हमारे करोड़ो जन्मो का पुण्य ही है की हमे श्रीमद भागवत कथा सुनने का अवसर प्राप्त हुआ है। क्यूंकि आप बस मानव जीवन को प्राप्त करके ही श्रीमद भगवत कथा का श्रवण कर सकतें है। श्रीमद भगवत कथा का ये ग्रन्थ तो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि जिस जीव के दिल में इच्छा होती है की वो ईश्वर के बारे में जाने वो इस श्रीमद भगवतकथा के माध्यम से ईश्वर के बारे में जान पाता है। जो व्यक्ति सिर्फ माया के पीछे भागता है वो व्यक्ति उस कुंए के मेंढक की तरह है जिसने कभी उस कुए के बाहर की दुनिया देखी ही नहीं। व्यास जी ने कहा कि वो कथा को सिर्फ एक कहानी की तरह सुनता है या फिर जब तक उसको सुनने का मन करता है तब तक कथा पंडाल में रहता है उसके बाद निकल जाता है। लेकिन वेद व्यास जी ने खुद भागवत कथा में लिखा है की अगर सातो दिन तक पूरी निष्ठा और ध्यान से आप श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करते है तो वो आपको मोक्ष की प्राप्ति कराती है। महाराज श्री ने बताया की जिस धरती पर पानी की कमी हो वहां की फसल ख़राब हो जाती है और जहाँ धर्म न हो जहाँ संस्कार न हो, जहां अपनी परम्पराओं का निर्वाहन न हो वहां नस्ल ख़राब हो जाती है। भगवान ने जो हमे ये साँसे दी है वो किसी का बुरा करने के लिए नहीं किसी को बुरा कहने के लिए नहीं, अपनी ज़िन्दगी को यूँ ही व्यर्थ करने के लिए बल्कि ये साँसे भगवान का नामजाप करने और भगवान की भक्ति के लिए दी है। ये सांस बहुत अनमोल है इन्हे आपको कोई उधार नहीं देगा इसलिए इन्हे व्यर्थ ना जाने दे। वेदांती जी ने कहा कि भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती जिस समय आपका जन्म हुआ था उससे पहले आपकी मृत्यु तय है किस जगह आपकी मौत होगी। यह दिव्य महोत्सव का संयोजन व आये हुए अतिथियों का स्वागत श्री महाराज जी के शिष्य वशिष्ठ पीठाधीश्वर महंत डॉ राघवेश दास वेदान्ती महाराज ने किया। कथा से पूर्व व्यासपीठ का पूजन मुख्य यजमान रामकिशोर पाण्डेय,अविनाश किशोर पाण्डेय,श्रीमती अनामिका, धीरेंद्र पाण्डेय,श्रीमती किरण महेश शुक्ला, राजेंद्र प्रसाद शुक्ला,ताराशंकर पाण्डेय, भोलानाथ पाण्डेय, रामानुज,श्रीमती आरती पाण्डेय,चतुर्गुण पाण्डेय,साधू चरण पाण्डेय, भीम सिंह, बसंत पाण्डेय,मुकेश कुमार, लालजीत पाण्डेय,टाण्डा से श्यामबाबू गुप्ता, अशोक पाण्डेय, बहराइच से दिलीप बाबा,अशोक पण्डा ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा में मुख्य रूप से सुरेंद्र सिंह विहिप,अमित दुबे, करुणेश मणि त्रिपाठी, संघ कार्यालय व्यवस्थापक प्रमुख कृष्णचन्द्र जी, महंत रामसेवक दास जी, जय पुरिया मंदिर के श्री महंत जी, राज चौबे आदि लोग विशेष रूप से उपस्थित रहे।