हनुमत निवास मंदिर में रामजन्मोत्सव का छाया उल्लास,बज रही बधाईयां
अयोध्या। संतों की सराह कही जाने वाली रामनगरी में अनेक भजनानंदी संत हुए है जिन्होंने त्याग, साधना से न सिर्फ अयोध्या बल्कि पूरे भारत में राम भक्ति की अलख जगाई इन महापुरुषों की साधना की जीवंत गवाही दे रही है ये अयोध्या के मठ मंदिर व लाखों शिष्य परिकर। उन्हीं संत महापुरुष में एक रहे पूज्य बाबा गोमती दास जी महाराज जो सिद्ध पीठ श्री हनुमत निवास के संस्थापक रहें। उन्हीं हनुमत निवास मंदिर में भगवान राम का जन्म महोत्सव बड़े ही उमंग के साथ मनाया जा रहा है। मंदिर में प्रातः नवाह परायण पाठ तो सायंकालीन रामकथा पर मीमांसा हो रही। व्यासपीठ से कथा की मीमांसा हनुमत निवास मंदिर के महंत व रामकथा के विशिष्ट विद्वान प्रख्यात कथावाचक महंत डा मिथिलेश नन्दनी शरण जी कर रहें। व्यासपीठ से कथा का महत्त्व बताते हुए पूज्य महंत डा मिथिलेश नन्दनी शरण जी ने कहा कि परमात्मा से सतत संबंध होने पर जीव काल व समय के प्रभाव से मुक्त हो जाता है। इसी रहस्य के बल पर मुनियों ने जंगलों में काल को वश में कर हजारों वर्षो तक तप किया। अयोध्या के सूर्यवंशी राजा ने जीवन के दो पल में एक मे अपना राज्य पुत्र को सौंप दिया व दूसरे पल में वे ईश्वर में ध्यानस्थ हो मुक्त हो गए। उन्होंने कहा कि काल सदैव सतर्क है पर जो प्रभु की शरण में आ जाता है उसे काल का भय नहीं रहता। हमारे संतों ने ऐसा करके ही इच्छामृत्यु का गौरव बार-बार हासिल किया।