घर से चले थे… लौटे ही नहीं, सड़क ने निगल लिए अयोध्या के तीन लाल

DNA Live

June 6, 2025

घर से चले थे… लौटे ही नहीं, सड़क ने निगल लिए अयोध्या के तीन लाल

जिनकी सांसे थम गई: विवेक

पापा, शाम को आऊंगा और फिर,सवाल सिर्फ मौत का नहीं, सिस्टम

बहराइच। अयोध्या के चार दोस्त बुधवार सुबह एक साथ कार में बैठे। किसी ने हँसते हुए चाय ली होगी, किसी ने घर पर कह दिया होगा- ‘शाम तक लौटेंगे।’ मगर किसे पता था, कि ये सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर बन जाएगा। नानपारा टोल प्लाजा के पास एक तेज रफ्तार बस से उनकी कार की आमने-सामने भिड़ंत हो गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। मौके पर मौजूद लोगों ने जब दरवाजे खोले, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
तिवारी (32) वैदेही नगर कॉलोनी के रहने वाले। घर में इकलौते कमाने वाले थे। पीछे बुजुर्ग पिता दो छोटे बच्चे और बेसुध पत्नी को छोड़ गए। अभय पांडेय मोहल्ला वैदेही नगर। माता-पिता वृद्ध हैं, बेटा अब कभी लौटकर नहीं आएगा। विनोद श्रीवास्तव पक्की ड्योढ़ी, अयोध्या। जिनकी मुस्कान मोहल्ले में सबको भाती थी, आज सबकी आंखों में आंसू हैं। रामकुमार यादव (पठान टोला) को बहराइच से लखनऊ रेफर किया
खामोशीः विवेक की पत्नी बार-बार मोबाइल स्क्रीन देख रही थीं। आखिरी कॉल पर विवेक ने कहा था- ‘पापा को बोल देना घबराए नहीं, मैं जल्दी लौट आऊंगा।’ अब वही मोबाइल बगल में रखा है और विवेक तावीज की तरह सफेद चादर में लिपटा है।
बस वाले बेखबर, जिम्मेदार बेपरवाहः हादसे के वक्त बस में कोई यात्री घायल नहीं हुआ, लेकिन अब तक साफ नहीं है कि ड्राइवर किसकी गलती से टक्कर हुई। पुलिस का कहना है जांच जारी है, लेकिन सवाल वही पुराना है-क्या ये हादसा टल सकता था? क्या रफ्तार पर कोई कंट्रोल नहीं? क्या हर मौत के बाद बस एक एफआईआर ही काफ़ी है?
का भी है हर साल हजारों जानें सिर्फ लापरवाह ड्राइविंग, खराब रोड मैनेजमेंट और लचर ट्रैफिक निगरानी की भेंट चढ़ती हैं। क्या अब भी हमारी सड़कें सुरक्षित नहीं बनेंगी? क्या अब भी हादसे के बाद मुआवजा ही इंसाफ़ माना जाएगा?